Thursday, April 30, 2015

'तेरे पीले..'



...

"तेरे इस पीले से बहते हैं..
मेरे मन के हरे सावन..

इस अंतहीन यात्रा पर..
साथ चलें..? थाम दामन..

तुम ह्रदय-ताल पर बसे..
हर दिन हुआ..बस पावन..

कस लो..स्मृतियों में हमें..
मिलते नहीं सबको..यूँ जानम..

#जां..मिलिए न..बहुत हुआ..
दूरियों का ये मनभावन..!!"

...

--आपकी याद में..कुछ यूँ बह चले लफ्ज़..

4 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

शिव राज शर्मा said...

Sundar bhaav

दिगम्बर नासवा said...

वाह क्या बात है ... यूँ नहीं मिलते हम ... यादों में थाम लो कास के ...

priyankaabhilaashi said...

हार्दिक धन्यवाद..शिव राज शर्मा जी..!!

priyankaabhilaashi said...

सादर धन्यवाद..दिगंबर नास्वा जी..!!