Wednesday, April 8, 2015

'कोमल स्पर्श..'



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"क़तार लम्बी है..
और..
शुभचिंतक भी बहुत..

मेरी अर्ज़ी..
आपकी स्वाँस-नली में..
लिपटी रखी है..

स्वीकार कर लीजिये न..
आज रात्रि के दूसरे प्रहर का..
कोमल स्पर्श..!!"

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