Thursday, April 9, 2015
'प्यार है..जानिब..'
...
"कितनी आसानी से..
इल्ज़ाम दे गया..
बेइन्तिहाँ मोहब्बत थी..
ज़फ़ा दे गया..
सौदागर-ए-वहशत हूँ..
वीरानी का ओवरलोडेड स्टॉक..
मुझ पर ही लुटाता है..
सुट्टा जिंदगी का..
दिलबर के साथ..
राख़ मेरी ऐश-ट्रे में भर जाता है..
लेट नाईट टॉक्स उनकी..
हैंगओवर का फ्रसटेशन..
ब्रेकफास्ट में मुझे दे जाता है..
मैसेज सारे उनके नाम..
मेरा पत्र बरसों एड्रेस को तरस जाता है..
रूह के रेशे में लिपटे तोहफ़े मेरे..
क्रेडिट तो..यार के खाते में जाता है..
प्यार है..जानिब..
आख़िरी कश तक जलाएगा..
फाल्ट इज़ यौर्ज़..बेबी..
तू क्यूँ अपनी 'अवेलेबिलिटी' दिखा जाता है..
चिल्लैकस स्वीटी..
'दिस इज़ व्हाट लव इज़ आल अबाउट'..!!"
...
--गुरु का ज्ञान..wink emoticon
Labels:
दास्तान-ए-दिल..
8 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
सादर आभार मयंक साब..!!
बहुत बढ़िया
हार्दिक धन्यवाद ओंकार जी..!!
आधुनिकता लिए गहराइ समेटे । सुन्दर रचना
आधुनिकता लिए गहराइ समेटे । सुन्दर रचना
गहरी अभिव्यक्ति ... रोजमर्रा में सिमटी बातें ...
हार्दिक धन्यवाद शिव राज शर्मा जी..!!
धन्यवाद दिगंबर नास्वा जी..!!!
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