Wednesday, August 19, 2015

'चाहत के दरवाजे..'






...

"चुप रहूँ तो बोलते हैं..
चाहत के दरवाजे..
आ जाओ..
के रात गहराने को है..

नहीं बाँधेंगे..
मोह के धागे..
लपेट लेंगे..
सीधे बाँहों में..

न होगी शरारत..
बस थोड़ी हरारत..

जल्द ही..
बंद कर आओगे..
ये चाहत के दरवाजे..

इस दफ़ा..
रस्ता अंदर वाला होगा..
नशा तुम पे सुनहला होगा..

चल ओढें..
जिस्मों के छाते..
बंद करें..
चाहत के दरवाजे..!!"

...

--रूमानियत के राग..<3 <3

1 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

दिगम्बर नासवा said...

चाहत के दरवाजे अपने आप खुल जाते हैं एक हलके से झोंके से ...