Thursday, April 7, 2016

'इस साल की दुआ..'






‪#‎जां‬

...

"कुछ रिश्तों की नींव..
बिन मिले ही गहरा जाती है..
प्रत्यक्ष की चाह भी..
लोप हो जाती है..

कुछ पल गहरा जाते हैं..
मिलन की आस..
अधूरी..अधपकी..वहशत..
जीने की प्यास..

#जां..
मेरी रूह पे निशां गहरा रहे हैं..
जाने क्यूँ..तुम्हें ही पुकार रहे..

इस साल की दुआ..
अगले मौसम में खिले..

चाहत की दूरी..
होठों से मिले..

तुम लिख भेजना..
मेरा ड्यू लैटर..
पढ़ जिसे पी लूँगी..
जुदाई का चैप्टर..

बिन मिले..
जुदा कैसे हुए..
बिन मिले..
एक कैसे हुए..!!"

...

--दर्द..जाने कैसे-कैसे..

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