Tuesday, October 27, 2020

'लफ्ज़ों की कैफ़ियत..'



Credit : कुछ रूमानी रूह जो बरबस आपको आपसे मिलवाने आतीं हैं..

...

"समंदर की आग कौन जानता है.. पानी का दर्द कौन समझता है.. आग की प्यास कौन महसूसता है.. फिज़ा की अगन कौन सहलाता है..

कुछ दर्द हमें जितना उधेड़ते हैं, उतने दराज़ भरते जाते हैं..लफ्ज़ों की कैफ़ियत से..!!"

...

1 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर।