Thursday, April 30, 2015

'पुर्ज़ों की स्याही..'




...

"इक पता तलाशता हूँ..अपनी ज़मीं से दूर..
इक आह संभालता हूँ..अपने जिस्म से दूर..
इक संदर्भ खंगालता हूँ..अपनी जिरह से दूर..

पुर्ज़ों की स्याही..विस्मित-सी..करे अनंत सवाल..!!"

...

'तेरे पीले..'



...

"तेरे इस पीले से बहते हैं..
मेरे मन के हरे सावन..

इस अंतहीन यात्रा पर..
साथ चलें..? थाम दामन..

तुम ह्रदय-ताल पर बसे..
हर दिन हुआ..बस पावन..

कस लो..स्मृतियों में हमें..
मिलते नहीं सबको..यूँ जानम..

#जां..मिलिए न..बहुत हुआ..
दूरियों का ये मनभावन..!!"

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--आपकी याद में..कुछ यूँ बह चले लफ्ज़..

Wednesday, April 29, 2015

'इज़ाज़त..'




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"जां..

तेरी ख़ुशी की लकीर..साँसों से लिख दूँ.. इज़ाज़त है..??
तेरी आँखों की कशिश..बोसे से चख़ दूँ..इज़ाज़त है..??
तेरी रूह की तपिश..पोर से मढ़ दूँ..इज़ाज़त है..??

बोलो न..‪#‎जां‬..
तेरी बाँहों में..इबादत एक और रच दूँ..इज़ाज़त है..??"

...

--ज़वाब के इंतज़ार में..

Saturday, April 25, 2015

'तिलिस्म छुअन का..'



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"तूने विश्वास मुझमें जगाया है..
क्या सच में..मुझमें कुछ पाया है..

मैं समझता रहा..खुद को आवारा..
तिलिस्म छुअन का..संग काया है..

मिटा देते हैं..चलो..अभी..जमी हुई..
जिस्मी-तिश्नगी..आँखों में जो माया है..

दूरी के तलाशो न बहाने..ए-‪#‎जां‬..
ये ब्रांड..फ़क़त..हमने ही बनाया है..!!"

...

--नाराज़गी वाला प्यार..रात्रि के दूसरे प्रहर..

Thursday, April 23, 2015

'मेरी पुस्तक..'


#विश्व पुस्तक दिवस..

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"मेरी पुस्तक तुम से प्रारम्भ हो..तुम पर ही समाप्त होगी.. जानते हो तुम भी..

मेरी अंतरात्मा की गतिशीलता तुम्हारे प्रत्येक पृष्ठ पर अंकित है..तनिक पृष्ठ संख्या ११६ देखो..विरह की रात्रि का विलाप पुकार कर रहा है..

पृष्ठ ८ पर जड़ है..मेरा विलय..

पृष्ठ संख्या ११ सुना रही है..मेरे पृथक-पृथक होने का मंगल-गान..

पृष्ठ संख्या ३ पर चिन्हित तुम्हारा प्रथम स्पर्श..भोज-पत्र बन अमर हो चला है..

पृष्ठ संख्या ७ का स्वर उल्लासित है..सौम्यता की परिधि से..

और.. पृष्ठ २०१ हमारा संयुक्त परिश्रम है..जिसका लाभांश पल-प्रतिपल अपना मूल्य बढ़ाता जाता है..

पृष्ठ संख्या ३१ की रश्मि..चाँदनी-सी महक रही है..

आओ..प्रस्तावना के पृष्ठ पर अगाध प्रेम-गाथा की अमिट छाप लगा जाएँ..!!"

...

--#जां..मेरे जीवन-उपन्यास के एकमात्र केंद्र-बिंदु..

Sunday, April 19, 2015

'जागीर..'



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"इक आखिरी काश..इस रात का..
इक आखिरी जाम..इस बात का..

मोहब्बत के जिस्म थे..
इबादत की रूह..
छिला जो हाथ..
कोशिका मेरी थी..

मैं लिखता हूँ दर्द..
ख़फ़ा वो हो जाते हैं..
मैं कहता हूँ मर्ज़..
जफ़ा वो कर जाते हैं..

तुम बेबस हो..
मैं नहीं..
तुम शामिल हो..
मैं नहीं..

तह-दर-तह जमाता हूँ..
ज़िन्दगी के सफ़हों की..
सुनी क्या सरसराहट..
दिल धड़कने की..

बेच सकोगे जागीर अपनी..
भरी है हर कोने में..
यादें अपनी..

दुआ करूँगा..
कामयाबी की..
चादर ओढ़ना..
*आबादी की..!!"

...


--तनहा सफ़र का एक पड़ाव..

*आबादी = आबाद..

Thursday, April 9, 2015

'प्यार है..जानिब..'



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"कितनी आसानी से..
इल्ज़ाम दे गया..

बेइन्तिहाँ मोहब्बत थी..
ज़फ़ा दे गया..

सौदागर-ए-वहशत हूँ..
वीरानी का ओवरलोडेड स्टॉक..
मुझ पर ही लुटाता है..

सुट्टा जिंदगी का..
दिलबर के साथ..
राख़ मेरी ऐश-ट्रे में भर जाता है..

लेट नाईट टॉक्स उनकी..
हैंगओवर का फ्रसटेशन..
ब्रेकफास्ट में मुझे दे जाता है..

मैसेज सारे उनके नाम..
मेरा पत्र बरसों एड्रेस को तरस जाता है..

रूह के रेशे में लिपटे तोहफ़े मेरे..
क्रेडिट तो..यार के खाते में जाता है..

प्यार है..जानिब..
आख़िरी कश तक जलाएगा..

फाल्ट इज़ यौर्ज़..बेबी..
तू क्यूँ अपनी 'अवेलेबिलिटी' दिखा जाता है..

चिल्लैकस स्वीटी..
'दिस इज़ व्हाट लव इज़ आल अबाउट'..!!"

...

--गुरु का ज्ञान..wink emoticon

Wednesday, April 8, 2015

'कोमल स्पर्श..'



...

"क़तार लम्बी है..
और..
शुभचिंतक भी बहुत..

मेरी अर्ज़ी..
आपकी स्वाँस-नली में..
लिपटी रखी है..

स्वीकार कर लीजिये न..
आज रात्रि के दूसरे प्रहर का..
कोमल स्पर्श..!!"

...

Monday, April 6, 2015

'खंज़र उठाओ..'

#जां



...

"तुम क़त्ल लिखती हो..
तुम नज़्म लिखती हो..
जाने कैसे..
तिलिस्म गढ़ती हो..

तुम आह भरती हो..
तुम चाह भरती हो..
जाने कैसे..
साँस पढ़ती हो..

तुम दर्द चखती हो..
तुम रूह चखती हो..
जाने कैसे..
वीरानी चढ़ती हो..

लबरेज़ हूँ..
खंज़र उठाओ..
ख़ानाबदोश हूँ..
गिरफ़्त बढ़ाओ..!!"

...

--जां..मेरी जां..<3

Saturday, March 7, 2015

'मुश्किल..'





‪#‎जां‬

...

"तुम्हें ढूँढना मुश्किल.. = तुम्हें पाना मुश्किल..

#जां आओ न..ये LHS वाली मुश्किल को RHS वाली मुश्किल से कैंसल कर दो न..!!"

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--इंतज़ार में शब..<3 <3

Sunday, March 1, 2015

'वीकेंड वाला नशा..'



#जां

...

"तुम्हें रख लेना चाहता हूँ..
साथ अपने हर पल..

रूह के मुशायरे में..
ब्रेन-स्टोर्मिंग सैशंस में..
रोलर-कोस्टर राइड्स में..
थ्रिल्लिंग लॉन्ग ड्राइव्स में..

पौधे की गुड़ाई में..
गिटार क्लासेज में..
थिएटर वर्कशॉपस में..
लाउन्ज रूफटॉप्स में..

मोबाइल पैटर्न में..
जीमेल पासवर्ड में..
वौच लॉक में..
इवनिंग वौक में..

चॉकलेट शेक में..
थंब रिंग में..
वनिला कोन में..
रात-वाले फ़ोन में..

आओ न..
#जां..
तुम्हें रख लेना चाहता हूँ..
साथ अपने हर पल..!!"

...

--वीकेंड वाला नशा..<3

Wednesday, February 25, 2015

'खैरियत कैफ़ियत वाली..'






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"रंगों के अपने रंग दिखने लगे..
मुहब्बत हमसे रक़ीब करने लगे..१..

चाहत उल्फ़त को थी..थोड़ी ज्यादा..
जिस्म पे..रूह के निशां मंजने लगे..२..

खैरियत कैफ़ियत वाली..जुदा रहे..
नक़ाब चेहरे पे..हबीबों के लगने लगे..३..

कम लिखता हूँ..हाले-दिल..बारहां..
आमद क़द्रदानों की..कूचे सजने लगे..४..!!"

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--नशा-ए-वीकेंड..

Saturday, February 21, 2015

'वीकेंड-सेलिब्रेशन..'




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"साँसे बेक़ाबू-सी..
रूह आउट ऑफ़ आर्डर..

बिखरे दस्तावेज़..
सिमटे नोट्स..

लेज़ी वाच..
मनमौजी ग्लास्सेज़..

सबका अपना-अपना मिज़ाज़ है..
वैसे..
वीकेंड का मंज़र..
बहुत प्राईसी होता है..

नीट ही करता और करवाता है..
ज़ुल्म सारे..!!"

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--वीकेंड-सेलिब्रेशन बिगिंस..grin emoticon

Sunday, February 15, 2015

'नक़ाब..'




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"झूठ-सच की दौड़ में भागता हूँ..रोज़ सुबह..
छल-कपट के पहाड़े गुनता हूँ..दिन भर..

अहंकार के टारगेट्स से दमकता हूँ..शामो-सहर..!!"

...

--नक़ाब पूरे वीक्स के.. साथ रखता हूँ..

Wednesday, February 11, 2015

'रेडियल स्टार्ज़..'



...

"डायरी..पैन..कॉफ़ी मग..पास बुक..चैक बुक..मोबाइल.. जिस्म की थकान..रूह के टुकड़े..क़ैद हैं लफ़्ज़ों के पलंग पर..

लैपटॉप की कीज़..और माउस.. और हाँ.. जाड़े की सौगात..रजाई भी.. सब बिखरे पड़े हैं..तेरी याद में..

जब-जब भेजता हूँ..व्हाटसएप पर मैसेज..एक सैडी फेस भी भेज देता हूँ..और तुम कहते हो, 'क्या हर वक़्त..ये रोन्तोरू स्टीकर ही भेजते हो..!!'...

वो क्या जानें..दर्द मेरा..'तुम बिन जाऊँ कहाँ..'

थकी आँखों का पानी..स्लगिश एनर्जी..टॉर्नड एमोशंज़.. और सीलिंग पर जगमाते रेडियल स्टार्ज़..!!!"

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--तलब-ए-ज़िंदगी..

Sunday, February 8, 2015

'सुना है..'




...

"सुना है..

दिल के दर्द..
ख़ूबसूरती से लिखते हो..

मोती अश्क़ के..
बेदर्दी से पिरोते हो..

चैन जिगर के..
वफ़ा से चखते हो..

चिराग ग़म के..
नूर से तकते हो..

क्यूँ..आखिर मुझसे..
मुहब्बत करते हो..

सुना है..

तुम सेलेब्रिटी ऑथर हो गए..
अवार्डज़ भी दो-चार पा चुके..
सोशल साइट्स पर वांटेड हो..
विमोचन-समारोह में चीफ़ गेस्ट बनते हो..

पर..
मैं अब भी..अधूरी नज्में लिखती हूँ..
उंगली को दिल से जोड़े रखती हूँ..!!"

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--सिली मी..

Thursday, January 29, 2015

'बोसे की किरचें..'







‪#‎जां‬
...

"सच..अब मुश्किल है मिल पाना..

गिरफ़्त तड़पेगी स्याह रातों में..कोई न होगा वहाँ..
अलाव रो उठेंगे..कौन गर्माहट भरेगा..
दरिया मचलेगा..कौन समेटेगा लहरों का वेग..
रूह रेशा-दर-रेशा चीरती रहेगी..अपना ही नखलिस्तान..
ज़ालिम-ज़ालिम कहती रही..
रेज़ा-रेज़ा बिक गयी हूँ..फ़क़त..!!!

ये दर्दे-नासूर चीखते हैं..हर पल.. मैं सुलगती जाती हूँ..कश्ती-ए-लकीर.. काश..इस काश ने न बाँधी होती अपनी मियाद.. वफ़ा ने न लुटाये होते अपने सितारे..
उस गोलार्द्ध से सींच पी लेती..बेशुमार लिहाफ़.. मेरे हमसाज़..मेरे ग़मगुसार.. क़ासिद से कहो..न बजाये घंटी के शंख..के अंगारों से सेज़ है..मेरी रोशन..!!

तजुर्बा मुहब्बत का..नींद के कच्चे गोले..गुलाबी जाड़े के तंतु.. पहले बोसे की किरचें..मुरीद हैं..तेरी छुअन के..

सपनों के कारवां..अब कहाँ चॉकलेट और स्ट्रॉबेरी की सौगात पा सकेंगे..

ता-उम्र ढोते रहेंगे..मेरे काँटों के पुल..

सच..अब मुश्किल है मिल पाना..!!"

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--नाज़ुक बूँद की जिजीविषा..

Wednesday, January 28, 2015

'बरफ़..'



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"सपनों का अपना रंग होता है.. तेज़ धूप और बारिश में बिखर जाते हैं..कोमल तंतु.. जाड़े में..हाँ..हाँ.. नर्म..मुलायम जाड़े में तो किनारे खिल उठते हैं..!! ऐन उसी वक़्त..दुनिया के थपेड़े खींच लेते हैं..तेरी-मेरी सूत की वो चादर..जिसके हर रेशे में क़ैद है..हमारी उल्फ़त का अलाव..!!!

ज़ार-ज़ार रोया बहुत..जाड़े की सबसे सर्द रात..और दूर वादियों में गिरी 8 इंच मोटी बरफ़..!!"

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--दर्द #3

Monday, January 26, 2015

'चाँद के आँसू..'





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"उलझे सवाल कुछ उनके..
सुलझायेंगे तनहा रातों में..

आना कभी..टेलिस्कोप लेकर..
चाँद के आँसू दिखायेंगे..!!"

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--तोहफ़ा-ए-यार #2

'बेहिसाब ज़ुल्म..'




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"तुम्हारा क़त्ल करना..या.. यूँ कहूँ..तुमसे मेरा क़त्ल होना..मुझे बेहद पसंद है..!! काँच के नाज़ुक सितारे..माणक के ज़ालिम लश्कारे..बेहिसाब ज़ुल्म ढाते हैं..!!"

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--तोहफ़ा-ए-यार #1



Friday, January 23, 2015

'बाम..'




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"रंज़िशों को आराम दे देते हैं..
आ..
चाँद को बाम दे देते हैं..

मलता रहेगा..
दीवारों पे अपनी..

रंगीं थीं..
कभी..
रंगरेज़ ने..

उस स्याह रात की..
बेहिसाब चीखों में..!!"

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'बसंत-पंचमी..'





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"वर दो..
भर दो..
शुष्क अंतर्मन..

तार दो..
सार दो..
कृतज्ञ मन..

पत्र दो..
छत्र दो..
प्रियंकाभिलाषी उपवन..!!"

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--विद्या-प्रदात्री माँ के चरणों में कोटि-कोटि सहस्त्र वंदन..!!

बसंत-पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें..!!..!!

Wednesday, January 7, 2015

'मुहब्बत की पतंग..'



#जां

...

"इतने दिनों बाद..इतनी तनहा रातों के बाद..इक शाम तेरी गिरफ़्त में..<3

बह जाऊँ..या बहक जाऊँ..
तेरी छुअन से महक जाऊँ..!!

यूँ ही गले पड़े रहूँगी..साँसों की डोर पे अटकी है तेरी मुहब्बत की पतंग जब तक..!!"

...

--मेरे दूज के चाँद..<3 <3

Saturday, December 27, 2014

'वज़ह..'



...

"वज़ह बेशुमार हैं.
तुम्हें प्यार करने की..

जो लिखता..हाले-दिल..
स्याही होती तेरे नाम की..

जो लगाता इतर..
ख़ुशबू होती तेरे जाम की..

जो पहनता रत्न..
झलक होती तेरे नाम की..

जो संवारता वार्डरोब..
तारीफ़ होती तेरे काम की..

जो पढ़ता ग़ज़ल..
रदीफ़ होती तेरे नाम की..!

जानेमन..
तुम ही कहो..

कितनी वज़ह और बताऊँ..
तुम्हें प्यार करने की..!!"


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Monday, December 22, 2014

'सीले हुए फ़ाहे..'





#‎जां‬


...

" इन बेवज़ह मौसमी बरसातों से..
आसमां की परतें खुलने लगी हैं..

जिस्म के अलाव से..
ढक आते हैं..
सीले हुए फ़ाहे..!!"

...

--मेरी ज़िन्दगी..