Sunday, February 3, 2013

'एक सलाम..'




...


"रूह मर गयी, आज फिर..चिल्ला-चिल्ला थक गयी आवाज़ की गलियाँ भी.. लफ्ज़ जम गये..दो पल के लिये साँसें थम गयीं.. इक शख्स की खातिर कितना कुछ जी गयी, कितना कुछ मर गया.. पी आई लाखों समंदर, फिर भी दरिया प्यासा रह गया..!!

क्या किया तूने, लज्ज़त टूट-टूट रोने लगी..दहाड़ रहीं हैं खामोशियाँ, बेज़ुबां निगाहें.. बेरहम..बेवफ़ा तन्हाई..इक तू ही मेरी अपनी..तेरे पहलू में बेशुमार आँसू दफ़्न हुए होंगे.. तपने दे आँच पे उसकी, मेरी आहें.. सुलगने दे लकीरों के रेले, मिट जाने दे रूमानी फेरे..!!!"

...


---कभी-कभी अजनबी बन जाते हैं खुद से मिलने के सबब.. एक सलाम उनके नाम..

10 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

yashoda Agrawal said...

आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 06/02/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

शिवम् मिश्रा said...

बहुत खूब !


कौन करेगा नमक का हक़ अदा - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

रश्मि शर्मा said...

बहुत खूब लि‍खा है..

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

काव्यात्मक भाव ... सुंदर

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत ही बढ़िया


सादर

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद यशोदा अग्रवाल जी..!!

सादर आभार..

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद शिवम मिश्रा जी..!!

सादर आभार..

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद रश्मि शर्मा जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद संगीता आंटी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद यशवंत माथुर जी.!!