Tuesday, October 25, 2011

'खलिश-ए-आगोश..'


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"अजीब दास्ताँ..
जिस्म अपना..
ना रूह से वास्ता..
बहते रहे..
शब भर..
ना हासिल..
फ़क़त..
आशियान-ए-खानाबदोश..!!!"


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Monday, October 24, 2011

'बचपन..'





कुछ वर्षों पहले लिखी थी..बिना कोई संशोधन पुनः प्रेषित हैं..



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"बचपन सहेजकर रखा था..
एक पुराने बक्से में..

कुछ खिलौनें..
कुछ गुड़िया..
कोई कश्ती..
कोई गदा..

कुछ तीर-कमान..
कुछ आँसू की पुड़िया..
कोई ताबीज़..
कोई धागा..

कुछ भूली-बिसरी यादें..
कुछ गुलमोहर के फूल..
कुछ इमली के बीज..
कुछ बगीचे की धूल..

थोड़ी मासूम-सी हाथापाई..
कुछ पुराने सिक्के..
कुछ गुड़ के चक्के..
कुछ सरसों और मक्के..

थोड़े पुराने ख़त..
कुछ तितालियों के रंग..
कुछ दरिया का पानी..
कुछ चबूतरे तंग..

कुछ खिलखिलाती तस्वीरें..
कुछ कुरते के बटन..
कुछ जूतों की तस्में..
कुछ यारों के टशन..

दीवाली की सफाई में..
सब बेच दिया है..

सुना है..

मार्केटिंग वाले..
सब एक्सेप्ट करते हैं..
इस फेस्टिव सीज़न में..!"


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Saturday, October 22, 2011

'क्षमा ..'

दी..क्या मुझे क्षमा मिल सकेगी कभी..

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"भूल हुई इक बहुत भारी..
जिसका सुधार नहीं..
पश्चाताप कर सकूँ..क्यूँ..
मिलता उधार नहीं..

जीवन का अभिप्राय..
है यह ही..
टूटे काँच पर..
लगती धार नहीं..!!


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एक और गलती कर रही हूँ..आपसे बिना आज्ञा लिये इसे प्रेषित कर रही हूँ..

'सपने..'




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"शब-भर सपने जला..
रूह जला बैठा..!!"


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Friday, October 21, 2011

'राज़-ए-दिल..'





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"राज़-ए-दिल जाने ना कोई..
हम-ज़लीस पहचाने ना कोई..!!"


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Thursday, October 20, 2011

'दरार-ए-बादल..'




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"दरार-ए-बादल..
फ़क़त..
दरकार-ए-माज़ी..!!"


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Wednesday, October 19, 2011

'रूह के मेले..'




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"आओ..
बाँटें..
रूह के मेले..

कब तक रहेंगे..
हम-तुम..
अकेले..!!"


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Tuesday, October 18, 2011

'शामियाना-ए-रंगत..'



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"तड़प के पुख्ता सबूत मिले..
दीवानगी के ज़िंदा ताबूत मिले..

हर ओर..शामियाना-ए-रंगत..!!!"



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'दरमियां..'




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"सच ही था..
जो कहा..

फिर क्यूँ..
सपने रेतीले हो गए..

दरमियां थे..
जो साहिल..
क्यूँ हमशाख..
जुदा हो गए..!!"

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'शिकायत..'






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"करूँ बयां..
शिकायत होगी..
जुस्तजू सरे-राह..
बदनाम होगी..!!"

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Monday, October 17, 2011

'समाज..'




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"सुलझ गयीं..
गांठें कितनी..
तेरी इक मुस्कराहट से..

व्यर्थ ही..
लुटती रही..
समाज के संकीर्ण फेरों में..!!"

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Saturday, October 15, 2011

जगजीत साब..




जगजीत साब..



ना जाने कितनी सर्द रातों और तपते दिनों में गम की स्याही सोख लेते थे..मेरे हर गम को यूँ ही समेट लेते थे.. आपकी आवाज़ का जादू कितनी ही बेवफाई और फ़रेब को नकाब पहना दफ्ना आई..

आज जब आप चले गए..दिल के दर्द कैसे रहगुज़र कर पाऊँगी..राहबर मेरे..चारागर मेरे..आप ही बताएं, कैसे जी पाऊँगी..



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"ख्वाइश दम तोड़ती रही..
रूह सुलगती रही..
*शब-ए-तार..

क़ैद रहा..
**क़फ़स-ए-ज़िन्दगी..
रिवायत उछलती रही..
हर बाज़ार..

बेनाम इश्तिहार..
***गुमगश्ता वजूद..
रेज़ा-रेज़ा रही..
उल्फ़त बेज़ार..

तुम्हारी मखमली आवाज़..
मरहम लगाती रही..
हर नफ्ज़..

दम फूंक..
बेरंग फिज़ा मचलती रही..

आज जब तुम नहीं हो..
#बेनियाज़ी हस्ती..
##नुक्ताचीं डाले हैं डेरा..

कैसे समेटूं..
रूह का फेरा..!!!"


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*शब-ए-तार = Dark Night..
**कफ़स = Prison/Cage..
***गुमगश्ता = Lost..
#बेनियाज़ी = Independent..
##नुक्ताचीं = Critic..



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Friday, October 14, 2011

'बेखुदी..'




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"रेज़ा-रेज़ा रूह..
कतरा-कतरा काविशें..

बस्ती-बस्ती बेखुदी..!!!"


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' साज़िश..'





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"करते रहे वफ़ा..
ता-उम्र..
उल्फत-ए-तन्हाई..
ज़िंदा हूँ..
फ़क़त..
कोई साज़िश करो..!!!"


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Thursday, October 13, 2011

'शफ़क़त..'





आपको समर्पित..'दी'..

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"खुशबू लूटा रही..
तेरी शफ़क़त..
क्यूँ भीगी नहीं..
अब तलक..
रेतीली रूह मेरी..

कर दो..
इनायत ऐसी..
पा सकूँ..
जुस्तजू तेरी..
रंगत तेरी..
खुशबू तेरी..!!!!"


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'स्नेह-वर्षा..'





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"जीवन क्या है..
तलाश समाप्त हो जाए..
सार नहीं मिलता..

हो जिसके समीप..
आप जैसा माणक..
फिर क्या नहीं मिलता..

एक अदृश्य जादुई करिश्मा..
है तुम्हारी स्नेह-वर्षा..

सच..
सच्ची प्रार्थना से..
क्या नहीं मिलता..!!!!"


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'अभिभूत हूँ..'





आदरणीया दी..

आपके लिये..मेरे ह्रदय की दूर-दराज़ शाखा से निकले हुए कुछ शब्द..



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"झुरमुट झाड़ियों से झाँकती रही..
मेरी कहानी..
संवारा ह्रदय का उपवन..
दिया परेशानी से किनारा..

अनमोल है..
मुस्कराहट से लबालब..
बाजुबंध तुम्हारा..

किये होंगे सु-कर्म कितने..
बांधे होंगे पुण्य कई..
सौभाग्य हुआ दयालु..
मुझ पर..

पाया तुम जैसा..
सुंदर पानीदार..
मोतियों से अलंकृत 'निधि'..

अभिभूत हूँ..
रखेंगे न सदैव..
वात्सल्य की छाँव में..
अपनी इस 'बेवकूफ' को..!!!!"


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'सहारा..'


आपको समर्पित...'दी'..

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"दिखाया रास्ता..
जब कोई नहीं था..
दिया सहारा..
जब दिया नहीं था..
आपसे रौशन है..
अंतर्मन का आँगन..
सुशोभित हुआ..
जीवन का आँचल..!!"


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'महताब-ए-हरारत..'






शुक्रिया दी..'मेरे प्रेरणा-स्तोत्र'..!!!

इस रचना के मूल स्वरुप को निखारने के लिये..इस धातु को तपाने के लिये..



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"कलम उठा..
जब लिखना चाहती हूँ..
रूह की बंज़र प्यासी रेतीली खुरदरी चट्टानों पे..
हर खलिश की जुबां..

क्यूँ मुमकिन नहीं..
करना बयां..

जो बसते हो..
साँसों में रवानी बन..
क्यूँ मिलते नहीं..
इक कहानी बन..

क्या खौफ है ज़माने का..
या..
नज़रों की नुमाइश से..
डरते हो..

क्या मोहब्बत रंगत नहीं..
क्या चाहत फितरत नहीं..
क्या गर्माहट सिलवट नहीं..

समंदर हो मेरे..
दराज़ मेरे..
लम्हे मेरे..
लिहाफ़ मेरे..

ना तौलो तुम..
रेज़ा-रेज़ा मेरी अंगड़ाई..

बन जाओ ना..
फ़क़त..
सफ़हा अक्स..
महताब-ए-हरारत..
मेरे..!!!"


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Wednesday, October 12, 2011

'उल्फत की बरसात..'





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"चाँद की मसरूफियत..
चैन ले गयी..
मुद्दत हुई..
उल्फत की बरसात हुए..!"


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Tuesday, October 11, 2011

'ईमान-ए-जूनून..'




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"ख़्वाबों को लगा आया हूँ..
रूह की निगरानी पर..
ईमान-ए-जूनून..
महंगा हो चला..
इन दिनों..!!"


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'सुलगती रूह..'




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"महफ़िल-ए-मोहब्बत..
ज़र्रा-ज़र्रा..
सुलगती रूह..
मुबारक तुम्हें..
अरमानों की जुस्तजू..!!!"

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Saturday, October 8, 2011

'साहिल-ए-अश्क़..'


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"भूला देना..
साहिल-ए-अश्क़..
यूँ भी तन्हा ही जीया हूँ..
ता-उम्र..!!"


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Thursday, October 6, 2011

' गुज़ारिश..'



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"महबूब मेरे..
जुल्फों का साया ना कर..
पिघल जाऊं..
बाहों में..
कुछ ऐसी गुज़ारिश कर..!!"



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Tuesday, October 4, 2011

'साहस के सितारे..'


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"पथरा गयीं आँखें..
उत्साह ना हुआ कम..
बटोर लो..
साहस के सितारे..
प्रयोजन रहे दमखम..!!!"

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Sunday, October 2, 2011

'मासूमियत की बौछारें..'




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"पहाड़ियों में ढूँढ आई..
बचपन की सौगातें..
हँसी की फुहारें..
और..
मासूमियत की बौछारें..
खिलखिला रहा था..
आसमान का आँगन..
झिलमिला रहा था..
बादलों का आँचल..

जी आई..
आज फिर..

अमूर्त भावनाओं की..
अटूट निशानी..
जीवन की..
अमूल्य कहानी..!!!"

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