Saturday, January 29, 2022

'तुम..'



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"आज ख़्यालों ने जी भर जीने का फैसला किया.. दिन भर की भागदौड़ ने अपनी भागीदारी समय की स्लेट पर गढ़नी चाही.. मोहब्बत के इश्तिहार भी खूब बाँटें.. पर आप जानते हैं, साहेब, वजूद के मौजूद दस्तावेजों ने हर दफ़ा एक ही अर्ज़ी लगाई - "आओ जो इस तरफ, तफसील से आना.. बैठो जो पास, अशआर साथ लाना.. तिलिस्म तुमसे माँगता मेरे सवालों के जवाब, तुम बेतकल्लुफ मेरा किरदार हो जाना"..

किसी का मरगज़ होने के लिए, खुद से बेगाना होना पड़ता है.. 

सच के शहर में सारे मकां बेरंग निकले..

तुम वो बटन हो, जिसे मखमली बक्से में सहेज मुसाफिरी करूँ तो तारीफ के सुर यहाँ तक गूँजेंगे..

तुम गुलाबी कागज़ वाला हस्तलिखित स्तंभ, मेरे होने का आधार!"

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Tuesday, January 11, 2022

'आरज़ू..'





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"हम क्या सोचते हैं और क्या होता है.. मौसम के खेल में तराज़ू बिकता है..

लोगों का ईमान बदलते वक्त नहीं लगता..और इल्ज़ाम की तारीफ आपके कूचे पर डेरा जमा, मौज़ वाले छल्ले उछालती है..

इंसान करे भी तो क्या, जाए तो कहाँ.. हर उम्र छाले..हर राह पथरीली..हर किस्सा तंज़..हर एहसास फरेब..

रूह किसे अपना कहे..किसकी इबादत करे..किसके नाम पैगाम-ए-दिल भेजे..

तकदीर की तासीर भी अजब निकली, रंग के पैमाने फीके रहे..

चलता रहे कारोबार..खुशियाँ नज़ीर हों..सलामत रहे आरज़ू..और महकता रहे नज़रों का काफ़िला.. क्योंकि कोई शाम रुकती नहीं.. शब की बादशाहत भी चलती नहीं..

लबाबल रहे, मेरे होने का कलाम!"

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Monday, January 10, 2022

तुम!



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"सुनो.. तुम अथाह हो, मेरे अंतस के सागर.. तुम विराट हो, मेरे आकाश के पर्वत.. तुम अविरल हो, मेरे अध्याय के प्रमाण.. तुम संगीत हो, मेरे कण-कण के राग..

तुम सौभाग्य के परिचायक रहना!"

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