Saturday, May 28, 2011

'रूमानी ज़ागीर..'



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"बगावत तूफां से टकरा..
लूटी तासीर..
जलता रहे जो ता-उम्र..
फ़क़त..
कद्र ज़ुबान-ए-वाईज़..
अता होती है..
रूमानी ज़ागीर..!!!"

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'निगाहों से बुन..'




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"जिस्मों की गुज़ारिश ना सुन..
खुद से बेखुदी ना चुन..
बेवफा हैं..वक़्त की आंधियां..
दिल में छुपा..निगाहों से बुन..!!!"


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Thursday, May 26, 2011

'साँसों का ठिकाना..'




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"वक़्त की किल्लत..
जज़्बातों का आशियाना..
सजा खूब..
रंज़ो-शामियाना..
क्यूँ गुमां करता..
ए-वाईज़..
जब नहीं..
साँसों का ठिकाना..!!!"


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Sunday, May 22, 2011

' चंचल डाली..'




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"मासूम भावनाओं से चित्रित..
ह्रदय की चंचल डाली..
थाम..
चुरा ले गए..
शान्ति की हरियाली..
क्षमा करना..
ए-प्रियवर..
बन गए हो..
तुम मेरे स्वाभिमानी..!!"


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Monday, May 16, 2011

' ए-खुदा..'




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"अक्स ज़ख़्मी-ज़ख़्मी..
रूह खफा-खफा..
जाऊं कहाँ..
बता ए-खुदा..!!!"

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Thursday, May 12, 2011

'नज़राना..'



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"बड़ी सूनी-सी है..आँगन की चारपाई..
बड़ी सहमी-सी है..खलियानों की जुदाई..
पेश हुआ ना नज़राना..कीमत-ए-दगाबाजी..
नादां था..समझ ना सका तेरी खुदाई..!!!"


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Tuesday, May 10, 2011

' आशियाना..'





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"छुपा कर आँखों का दरिया..
लूटा दें आशियाना..
चाहत में..तेरी..
ए-जाने-जाना..
मिटा दें आबू-दाना..!!"


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Saturday, May 7, 2011

'नाम..'



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"वफ़ा की धुंध..
नाम जानती है..
हमारा..
बाँध देती है..
नज़रों के तार..
लबालब जज़्बात..
और..
मोहब्बत का नज़राना..

जाओ..
किसी रोज़..
छानने कूचे की ख़ाक..
पाओगे लिखा..
फ़क़त..
नाम..
तुम्हारा-हमारा..!!"


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'स्वप्न..'




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"काश ऐसा हो जाए..
देखूं जहाँ-जहाँ..
तू ही नज़र आये..
धड़कन हो मेरी..
गीत तेरे ही गायें..
पर..
होता कहाँ ऐसा है..
जो चाहो मिल जाए..
यथार्थ में जीना है..
समय कितने ही स्वप्न दिखाए..!!"


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Friday, May 6, 2011

'कागज़ के फूल..'



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"आँचल तेरी यादों का..
रहने दे..
हम-ज़लीस..
थमेगी साँसों की डोरी..
बढाएंगे रंगत..
फ़क़त..
कागज़ के फूल..!!"


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'आँचल तेरी यादों का..'




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"ये शाम भी अजीब है..
दिन के रंग चुरा इठलाती है..
अपनी रंगत बढ़ा..
वाह-वाही पाती है..
क्यूँ ना ऐसा हो जाए..
उड़े जब-जब खुशबू..
सौंधी मिट्टी की..
ये मन मचल जाए..
थाम लूं..
आँचल तेरी यादों का..
और..
तू मुझ में समां जाए...!!!"


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'चाहत के मोती..'




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"आरज़ू से महकती..
मेरी दुनिया..
यादों से दमकती..
मेरी बगिया..

बिखेर दो..
चाहत के मोती..
रूह के पायदान..
आफ़ताब-से निशां..
और..
महताब के कद्रदान..!!"

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'सरकार..'




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"क्या करें सरकार..
नहीं बदलते आसार..
मेरे महबूब की शरारत..
रूमानियत भरे तकरार..!!"


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'ज़मीन-ए-ख्वाब..'



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"क्या दोस्ती..
क्या नज़राना..
वक़्त की शाख..
उम्र भर का अफसाना..
बदल गया मिजाज़..
खुला जब मयखाना..
ज़मीन-ए-ख्वाब..
क्या जाने इतराना..
फ़क़त..वाज़ीब है..
यादों का शरमाना..!!!"


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Wednesday, May 4, 2011

'गिरफ्त साँसों की..'




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"चंद सवाल बल दे गए..
माज़ी को..
गिरफ्त साँसों की..
जकड़ती है..
अब तलक..!!"


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'सुकून-ए-रूह..'




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"यादों के आँगन में..
बिका खूब..
सुकून-ए-रूह..!!!"


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' ख्वाइश..'




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"परिंदे करते गुज़ारिश हैं..
छुपा लो..
रूह की ख्वाइश है..!!!"


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