Sunday, November 29, 2020
'मोहब्बत के मसीहा..'
#नवंबर
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"दर्ज़ करने हैं एहसासों के निशां सारे, तेरे कूचे की दहलीज़ पर.. तुम क़रीब आने के इंतेज़ाम दुरुस्त करने दो, आज शाम.. जानते हो न, जाड़े की रातों में तुम्हें एक वॉर्म टाइट हग़ के बिना नींद नहीं आती..
इन इंटेंस गहरी आँखों में यूँ भी डूब जाएँगीं मेरी साँसें..तुम्हारी लैवेंडर फ्रैगरैंस उस नीले स्कार्फ़ की तरह मेरे ब्लज़ेर पर महक रही है.. कैसे भेदते जाते हो मेरे दिल के वो सारे राज़, जो चट्टान माफ़िक कोई हिला सकता नहीं..
प्रेम से परिभाषित दोस्ती का पहला कदम पार कर लें.. आओ, इस दफ़ा इक नया आयाम चुन लें..
तुम ता-उम्र हमराज़ रहना, मेरी मोहब्बत के मसीहा!"
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--#मोहब्बत का मौसम
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
11/29/2020 07:04:00 AM
2
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
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रूमानियत..
Tuesday, October 27, 2020
'लफ्ज़ों की कैफ़ियत..'
Credit : कुछ रूमानी रूह जो बरबस आपको आपसे मिलवाने आतीं हैं..
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"समंदर की आग कौन जानता है.. पानी का दर्द कौन समझता है.. आग की प्यास कौन महसूसता है.. फिज़ा की अगन कौन सहलाता है..
कुछ दर्द हमें जितना उधेड़ते हैं, उतने दराज़ भरते जाते हैं..लफ्ज़ों की कैफ़ियत से..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
10/27/2020 09:12:00 AM
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बेज़ुबां ज़ख्म..