Sunday, February 10, 2019

'मेरे हौसलें..'






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"थक चुके होंगे तो बैठ जाएँगे..
मेरे हौसलें मेरे बिन, कहाँ जाएँगे..!!"

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'विचित्र संयोग..'





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"सपनों का वो पहले करिश्मा अब कहाँ स्थित है..
किसी ने सोचा, किसी ने ढूँढ़ने का यत्न किया, किसी ने कोई रपट लिखवाई..
सब यथावत हो गए..

समय की नोक पर विश्वास का खेत भरपूर कनक देता है..
धरा को एक क्षण पूज लेना, स्वतः ही अद्भुत संगम हो जाता है..

खिलाड़ियों का निर्माण क्षेत्र की आवश्यकता नापता है..
कमती-बढ़ती के उपहास, उपवास की रात्रि का शगुन होते हैं..

पूँजी उत्पादकता से होती है या उपवन की महकास से..
विचारधारा, विकास, निश्चित ही निस्तारित हो जाते हैं..

विचित्र संयोग है, सुगम पगडंडियों का कांकड़ी हो जाना..!!"

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