Thursday, June 30, 2011

'बंटवारा रूह का..'





...


"वस्ल-ए-रात..
खिला गयी..
गुलिस्तान..
सिलवटें ना कर सकीं..
बंटवारा रूह का..!!!"


...

Tuesday, June 28, 2011

'ले चलो..'






...


"ले चलो..
ना..
एक बार..
फिर..
उस ढाणी..

बसती है..
जहाँ..
उजली सुबह..
चमकीली सांझ..
दूर फैली हरियाली..
और..
तेरे गालों की लाली..!!!"


...

Monday, June 27, 2011

'अदा-ए-महबूब..'



...


"उलटती हूँ..
जब कभी..
शब की चादर..
रंग की चाहत..

तुम से जुड़ा..
हर लफ्ज़..
हर लम्हा..
करीने से..
खुद-ब-खुद..
लचकता है..

जाने क्या..
नशा-ए-फुरकत..

गिरफ्त मज़बूत..
बेक़रार निगाहें..
धडकनें महफूज़..

फ़क़त..
अदा-ए-महबूब..!!"


...

Thursday, June 23, 2011

' नूर..'



...


"दफ्न कर आये..
राज़ सभी..
जो ना मानो..
चीर लेना रूह..
अक्स मिलेगा..
हर नूर को..
सिर्फ 'तुम्हारा'..!!"


...

'कूचा-ए-यार..'





...


"लबों पे ना आये..
नाम माज़ी का..
कर अता..
बरकत इतनी..
दिखे रस्ता..
फ़क़त..
कूचा-ए-यार..!"


...

'तारों की निशानियाँ..'



...


"सुना था..

होतीं हैं..
परियों की कहानियाँ..

देखा तो..
याद आयीं रवानियाँ..

गुनगुनाती हुई..
मुस्कुराती हुई जवानियाँ..

क्या मिलती हैं..
अब तलक..

बादलों को ओढ़े..
तारों की निशानियाँ..!"


...

Sunday, June 19, 2011

'ख्वाब के अखबार..'



...


"अलविदा कहे जाते हैं इस शब..
मुलाकात का ऐतबार नहीं..
गर..बुला सको तो..
देख लेना..
मिलेंगे ख्वाब के अखबार में..!!"


...

Saturday, June 18, 2011

'निस्बत..'


...


"दुआओं पर चलो चादर चढ़ाते हैं..
वफाओं पर चलो लुटाते हैं..

मुमकिन कहाँ जज्बातों का आशियाना..!!!"


...

Thursday, June 16, 2011

'रूमानी-इतर..'




...


"चलो..
रूह की सीमा बनाते हैं..
कुछ लकीरें तुम खेंचना..
कुछ हम उखेड़ेंगे..
ना मुरझा पाये जो गुल..
रूमानी-इतर समझ..
जिस्म पर ओढ़ लेना..
ना जाने..
मुलाकात फ़क़त ना हो..!!!"


...

'खुशियों की छतरी..'




...


"दीवानगी-ए-सनम..जग जाहिर..
संगदिल वफ़ा..यार माहिर..

महंगी है..खुशियों की छतरी..!!!"


...

Wednesday, June 15, 2011

'टुकड़े रूह के..'




...


"कीमत चुका..
बांटा साज़-ओ-सामान..
ना कर सका..
टुकड़े रूह के..!!!"


...

Tuesday, June 14, 2011

'अवसर..'



...


"मखौल उड़ाता है..
जग सारा..
मदमस्त रहता हूँ..
शैय्या पर अपनी..
घाँव मरहम से भरे हैं कभी..??
विचार धुंधलाता हूँ..
असंमज में व्यतीत होती..
जीवन की अंतिम पंखुड़ियां..
जाने दो..
विषम परिस्तिथियाँ..
परस्पर प्रेम और दया के..
मिलते रहें अवसर..!!"


...

' तूफानी अदा..'


...


"बरसती हैं जब कभी..
यादों की बौछारें..
दामन बाँध देता है..
हसीं लम्हों की बरसाती..
काश..
लगा पाते एहसासों की रस्सी..
और..
वादों की गाँठ..
अजीब है..
बारिश की ये तूफानी अदा..!!!"


...