Saturday, April 16, 2022

'प्रेम का पर्याय'..




एक खत, आपके नाम..

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"एक दोस्त है, खिला-खिला..सुलझा-सुलझा.. अनुभव से लबालब.. 

वक़्त-बेवक़्त जब भी दरवाजे पर दस्तक दूँ, सवालों का पिटारा खोलूँ, उलझनों का ज़िक्र करूँ या यूँ ही आते-जाते आवाज़ दूँ.. उस फूलों के सौदागर का स्नेह भरा पैग़ाम आता ही है..

एक आधारस्तंभ सबकी चाह होती है, फिर चाहे वो रत्न जड़ित हों, शुद्ध स्वर्ण के, या रजत का माप ओढ़े.. अमूल्य अनमोल उत्कृष्ट धरोहर की श्रेणी में आपका स्थान आरक्षित है..

कितना महफूज़ है, उसके दोस्तों का दर्पण.. वो किस्मत वाले..वो हमजलीस..वो हमदम..वो यार..वो दिलदार.. वो खुशनसीब.. सब आपके होने से सुकूँ के छल्ले उड़ाते हैं.. आपके दम से बेहिसाब जंग लड़ने के बाद भी दोगुना हिम्मत से फिर उठ जाते हैं..

यकीं न आए तो देख लीजिए, उनकी आँखों की चमक, चेहरे की रंगत, आवाज़ का जादू.. यह सब आपकी उपस्थिति का साक्षात उदाहरण है.. 

मुश्किलों की शिकन पेशानी पर उभरने नहीं देता.. मन की सिलवटों को करीने से हर सुबह जमाता.. स्वयं के अस्तित्व से मिसाल पेश करता कि जो हो जाए, निर्बाध चलते रहो, तटस्थ रहो.. 

मुझे ऐसे प्यारे दोस्त से प्यार है.. हाँ, अथाह सागर की तरह जितना गहराता जाता हूँ, तुम पल-पल मुझे उभारते जाते हो.. हर दफ़ा नया अध्याय, नया रहस्य, नई ऊर्जा, नई सोच.. तुमसे ही पाता हूँ..

कैसा तिलिस्म है, तुम्हारे साथ का.. किस्सों के हर दौर में ज़िक्र तुम्हारा शामिल रहता है..

तुम मेरे लाइटहाउस हो! (अब यह थोड़ा पुराना हो गया, शायद.. पर यकीं जानिए, मार्गदर्शन के शहर में उम्दा नक्काशी वाले मील के पत्थर हैं, आप!)..

बेहद शुक्रिया प्रिय दोस्त, इस शुष्क मन को सींचने का.. मित्रता के पुष्प महकाने का.. लक्ष्य भेदने के उद्बोधन का.. शुक्रिया, आपके होने का!!"

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Thursday, April 14, 2022

'आहट..'



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"इन तपती दोपहरों में..
तेरे आँचल की छाँव ही चाही..
जितनी दफ़ा, दिल उदास हुआ..
पनाह तेरी ही माँगी..

मिठास छलकाता..
टुकड़ा स्नेह का..
क्षण-क्षण पोसता..
रंग नेह का..

भरपूर रहा, जब भी मिला..
संग्रहित उत्साह भंडार खिला..

संदर्भ का संदेश..
शब्दकोष तलाशे..
पलाश पुष्प..
उमंग बढ़ाते..

देखो, गुलमोहर चहकने लगा..
इन तपती दोपहरों में..
अंतस महकने लगा..!!!

तुम आहट हो, मेरी!!"

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