Thursday, April 14, 2022

'आहट..'



...

"इन तपती दोपहरों में..
तेरे आँचल की छाँव ही चाही..
जितनी दफ़ा, दिल उदास हुआ..
पनाह तेरी ही माँगी..

मिठास छलकाता..
टुकड़ा स्नेह का..
क्षण-क्षण पोसता..
रंग नेह का..

भरपूर रहा, जब भी मिला..
संग्रहित उत्साह भंडार खिला..

संदर्भ का संदेश..
शब्दकोष तलाशे..
पलाश पुष्प..
उमंग बढ़ाते..

देखो, गुलमोहर चहकने लगा..
इन तपती दोपहरों में..
अंतस महकने लगा..!!!

तुम आहट हो, मेरी!!"

...

4 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Unknown said...

Bohot khoob likha hai👌👌

Sweta sinha said...

जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १५ अप्रैल २०२२ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।

Jyoti khare said...

प्रेम की बहुत ही सुंदर कविता
वाह
बधाई

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

भावपूर्ण रचना।।