Saturday, June 18, 2011

'निस्बत..'


...


"दुआओं पर चलो चादर चढ़ाते हैं..
वफाओं पर चलो लुटाते हैं..

मुमकिन कहाँ जज्बातों का आशियाना..!!!"


...

5 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

M VERMA said...

मुमकिन नहीं पर नामुमकिन भी तो नहीं

विभूति" said...

sahi kaha apne... namukin kuch bhi nhi....

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद वर्मा जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद सुषमा 'आहुति' जी..!!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद डॉक्टर साहब..!!