दी..क्या मुझे क्षमा मिल सकेगी कभी..
...
"भूल हुई इक बहुत भारी..
जिसका सुधार नहीं..
पश्चाताप कर सकूँ..क्यूँ..
मिलता उधार नहीं..
जीवन का अभिप्राय..
है यह ही..
टूटे काँच पर..
लगती धार नहीं..!!
...
एक और गलती कर रही हूँ..आपसे बिना आज्ञा लिये इसे प्रेषित कर रही हूँ..
6 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
आपकी प्रस्तुति अलग सी है
जो अदभुत भावों का प्रेषण कर रही है.
क्षमा का अंदाज अच्छा लगा,
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा,
समयाभाव के कारण आपकी पिछली पोस्ट नही
देख पाया हूँ,इसके लिए क्षमा चाहता हूँ.
समय मिलने पर पढ़ने की कोशिश करूँगा.
sundar...
कुछ शब्दों में गहरी बात ...
धन्यवाद राकेश कुमार जी..!!
धन्यवाद सुषमा 'आहुति' जी..!!!
धन्यवाद दिगम्बर नासवा जी..!!!
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