Sunday, November 30, 2014
'पलाश..'
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"मेरे भीतर का पलाश खोज रहा है..रंग-भंगिमा..!! भाव-तूलिका से उकेर दो..सूक्ष्म-ताल..!!"
...
--स्वीकार लो..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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11/30/2014 10:18:00 AM
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अंतर्मन की पुकार..
'पासवर्डज़..'
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"पासवर्डज़ बुला रहे हैं..#जां..
कीबोर्ड की तुम्हारे नाम वाली कीज़..पूर्णतया तुम्हारा ही वर्चस्व चाहतीं हैं...!!"
...
--मिस यू..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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11/30/2014 09:47:00 AM
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रूमानियत..
Friday, November 28, 2014
'वैल्यू..'
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"ख़रोंचें जितनी लगतीं गयीं..वैल्यू उतनी बढ़ती गयी..!!"
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--मॉडर्न ज़माना है..दोस्तों..;-)
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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11/28/2014 10:28:00 AM
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ज़मीनी हकीक़त..
'छीजे हुए रिश्ते..'
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"ज़रूरी है..रूह से..छीजे हुए रिश्ते हटाना..
हर रिश्ते की उम्र नियत है..सूत मानिंद..!!"
...
--चलते-चलो..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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11/28/2014 09:47:00 AM
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ज़मीनी हकीक़त..
Sunday, November 23, 2014
'आईडिया..'
#जां
...
"रूह पे खुदा है..
नाम तुम्हारा..
जिस्म पे गुदवा..
किसे है दिखाना..
जाने दो..
ये आईडिया पुराना..
कर देते हैं मिलके..
इसपे रंग-रोगन दोबारा..!!"
...
--विचारों को विराम दे जाओ..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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11/23/2014 10:19:00 AM
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'गुलाबी सर्दी..'
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"नर्म गुलाबी सर्दी को..
जिंदा कर दो..
#जां मुझे फिर..
गिरफ़्तार कर लो..!!"
...
--जाड़े की महक..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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11/23/2014 06:53:00 AM
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बेबाक हरारत..
Tuesday, November 4, 2014
'रंग दो..'
#नवम्बर आ ही गया है..
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"इक फुहार-सा..
महकाता..
मेरा अंतर्मन..
माइल्ड-सी ठण्ड से..
सहलाता..
मेरा उत्सव..
गुनगुनी-सी धूप से..
चहकाता..
मेरा सृजन..
रंग दो..
मेरी घड़ी..
इस घड़ी..!!"
...
#नवम्बर आ ही गया है..
...
"इक फुहार-सा..
महकाता..
मेरा अंतर्मन..
माइल्ड-सी ठण्ड से..
सहलाता..
मेरा उत्सव..
गुनगुनी-सी धूप से..
चहकाता..
मेरा सृजन..
रंग दो..
मेरी घड़ी..
इस घड़ी..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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11/04/2014 09:56:00 AM
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स्वच्छंद पंछी..
Monday, November 3, 2014
'तलब..'
#जां
...
"तलब तेरी..
लगी ऐसी..
ए-ज़िन्दगी..
पीता जाऊँ...
सुबहो-शाम..
ज़ालिम हलक..
माँगता जाये..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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11/03/2014 08:53:00 AM
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ज़िन्दगी..
'मन की ख़ामोशियाँ..'
...
"इक पटरी-सी चलती जातीं हैं..
मेरे मन की वीरानियाँ..
और..
उसके मन की ख़ामोशियाँ..
काश..
इक बार..
टूट जाये..
क़यामत के ज़ोर से..
हमारी रुसवाइयां..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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11/03/2014 08:51:00 AM
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ज़मीनी हकीक़त..