Friday, May 6, 2011
'आँचल तेरी यादों का..'
...
"ये शाम भी अजीब है..
दिन के रंग चुरा इठलाती है..
अपनी रंगत बढ़ा..
वाह-वाही पाती है..
क्यूँ ना ऐसा हो जाए..
उड़े जब-जब खुशबू..
सौंधी मिट्टी की..
ये मन मचल जाए..
थाम लूं..
आँचल तेरी यादों का..
और..
तू मुझ में समां जाए...!!!"
...
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बस यूँ ही..
4 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
अभिव्यक्ति का यह अंदाज निराला है. आनंद आया पढ़कर.
धन्यवाद संजय भास्कर जी..!!
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
धन्यवाद संगीता आंटी..!!!
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