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"बाँध तस्में चल पड़ी..
जीवन-डगर पर अकेली..
कोई संगी-साथी नहीं...
जीवन दुर्लभ पहेली..
कठिन हो लक्ष्य..
दुर्गम हो राहें..
साधना ही होगा..
कर विसर्जित आहें..
समय अल्प बचा है..
लक्ष्य दूर खड़ा है..
थकना रुकना अब नहीं..
कार्य बहुत पड़ा है..
परिश्रम, धैर्य, लगन..
पिरो ह्रदय-धरातल पर..
विजयी-पताका सुन्दर..
लहरायेंगे आकाश-थल पर..!!"
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