Sunday, August 31, 2014
'रेशे-दर-रेशे..'
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"जिंदा रखना मुमकिन नहीं जहाँ..
इस भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी में..
तुमने पहने रखा जाने कैसे..
इन हर्फों के ताबीज़ को..
जानती हो..
सुर्ख रंग भी स्याह-सा लगता है..
जब छू जाती है..
कलम कागज़ से..
बिखर जाते हैं..
रेशे-दर-रेशे..
उसके लिहाफ में..
मुझे पाना आसां नहीं..
भूलना..हां'..कोशिश ये भी ज़ाया होगी..
पलटोगे पन्ने मेरे बाद..
पाओगे हर शै क़ाबिज़..
वज़ूद पे अपने..
ज़िंदा रहूँगी..
दूर होकर भी..
फ़क़त बदल लेना..
लिंबास हर पल चाहे..!!"
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--जिसे चाहा..सजदे किये.. जिसे माना..उसके लिए..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
8/31/2014 08:37:00 AM
5
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
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ज़मीनी हकीक़त..
Wednesday, August 13, 2014
'लेफ़्ट-हैंड डे..'
#जां
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"सुना..आज लेफ़्ट-हैंड डे है.. मैं तो यूँ भी आपके LHS पर ही रहती हूँ.. ;-) मतलब...आज मेरा डे है..स्पेशल वाला..!!"
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--शब के इंतज़ार में..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
8/13/2014 09:26:00 AM
0
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
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बेबाक हरारत..