Sunday, October 26, 2014
'प्रेम-पत्र..'
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"प्रिय मित्र..
यूँ अंतर्मन की लकीरों को आपसे बेहतर कौन पढ़ सकता है..?? इन आड़ी-तिरछी बेबाक़..अशांत..अविरल लहरों का माप और ताप..न मैं कभी समझ सकी..शायद ही न कभी समझ सकूँ..
उदासी घेरती है जब कभी..नाम आपका ही गूँजता चला जाता है..वीरानी से पौलिशड स्याह दीवारों पर.. कितनी ही रातें गुज़र जातीं हैं..फ़क़त..हासिल इक लम्हे की नींद भी नहीं..
आपसे मिलने से पहले..तनहा थी..दुनिया की भीड़ से जुदा थी.. और ख़ुद को जानने की ख्वाहिश अनजान थी..
शब्दों की हेरा-फेरी में..मेरा दिल क़ैद हो गया..
आपको पत्र लिखने का प्रयत्न भी विफल होने लगा.. असंवेदनशीलता अपने चरम स्तर पर है..और मैं अपने पर्सनल और प्रोफेशनल स्फेहर में लोयेस्ट पॉइंट पर हूँ..
कौनसी ख़लिश है..कौनसा जुनूं है..कौनसी उल्फ़त है..कौनसी तिशनगी है....बता दीजिये..आप..!! जानती हूँ..भलीभांति कि आपकी पारखी नज़र सब जानतीं हैं..
मेरे मन की दहलीज़ कौनसे जवाब ढूँढ रही है..और मेरी साँसें क्यूँ मुरझाने लगीं हैं..??? आप जानते हैं न..ये सारे अनकहे सवाल मेरे मन के..पढ़ लीजिये न..मेरी कोशिकाओं की अनहर्ड स्टोरी..
हेल्प मी थ्रू..My Saviour...यू नो इट वैल..यू आर My Only Refuge..!!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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10/26/2014 10:22:00 AM
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रूमानियत..
Thursday, October 16, 2014
'बेशकीमती..'
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"कुछ नॉर्मल चीज़ें यूँ ही बेशकीमती कैसे बन जातीं हैं..
उनका भेजा हुआ पैन अब तलक लॉकर में रखा है..!! स्याही भी साथ खूब निभाती है...कुछ आठ साल हुए होंगे..अभी भी जिंदा है..रवानी उसकी..!!"
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--दिल भी एक 'ग्लोबल' मुज़रिम है..जानेमन..<3
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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10/16/2014 08:04:00 AM
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मेहमां यादें..
Monday, October 13, 2014
'शुक्रगुज़ार हूँ..'
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"कितनों को देते हैं आप..दिशा..
कभी थकी-हारी जो आती हूँ..
फैला देते हैं..आँचल वात्सल्य-भरा..
अब जो कहूँगी..
'शुक्रगुज़ार हूँ..'
नाराज़ हो जायेंगे..
कहाँ किसी को यूँ ही कह पाते हैं..राज़ अपने..
जाने कैसे बंध जाते हैं..रिश्तों से सपने..
मेरी खुरदुरी लकीरों को..
कोमल स्वरों से सहलाते हैं..
बस चलते रहना का ही..
दम भराते जाते हैं..
निशब्द हूँ..
यूँ ही रहना चाहती हूँ..
आज फिर..
तेरे आँचल में सोना चाहती हूँ..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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10/13/2014 09:19:00 AM
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दास्तान-ए-दिल..
Friday, October 10, 2014
'प्रेम-पत्र..'
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"मिट गया फिर से..
प्रेम-पत्र तेरे नाम का..
लिखा था जो लेट-नाइट्स..
जीमेल हिंदी वाले पेज पर..
इन्सटौलमेंट्स में छपते गए..
तुम्हारा प्यार बाँधे 'हर्फ़'..
इंस्टैंट सेव भी होते थे..
ये ज़ालिम मैटर रफ़..
हाय रब्बा..
सुना आपने..
प्यार भी इलेक्ट्रॉनिक हो गया..!!"
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--शुक्र वाला शुक्रिया.. <3
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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10/10/2014 09:26:00 AM
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बेबाक हरारत..
'कर्फ्यू'..
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"तो फिर..
दिन-रात प्यार करो मुझे..
मेरे महबूब..
इस 'कर्फ्यू' में..
कभी कोई ढील न हो..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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10/10/2014 08:54:00 AM
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रूमानियत..
Wednesday, October 8, 2014
'तरुवर ..'
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"मेरे भीतर का प्रेम खोज रहा तरुवर लतायें..
पोषित कर दो आज.. सर्वस्त्र घनघोर घटायें..!!"
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--प्रेम का मौसम..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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10/08/2014 08:38:00 AM
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रूमानियत..