
...
"वज़ह बेशुमार हैं.
तुम्हें प्यार करने की..
जो लिखता..हाले-दिल..
स्याही होती तेरे नाम की..
जो लगाता इतर..
ख़ुशबू होती तेरे जाम की..
जो पहनता रत्न..
झलक होती तेरे नाम की..
जो संवारता वार्डरोब..
तारीफ़ होती तेरे काम की..
जो पढ़ता ग़ज़ल..
रदीफ़ होती तेरे नाम की..!
जानेमन..
तुम ही कहो..
कितनी वज़ह और बताऊँ..
तुम्हें प्यार करने की..!!"
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