Thursday, June 17, 2021
इश्क़
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
6/17/2021 11:55:00 AM
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मोहब्बत
Tuesday, June 15, 2021
'प्यार से सागर या सागर से प्यार'..
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प्यार में सागर था या सागर से प्यार.. उत्तर कठिन है परंतु दिशा..दशा..सही?
क्या यह सच है इंसान प्यार में बंध कर उलझ जाता है.. प्रेम के बंधन आपसे आज़ादी छीन लेते हैं.. आप वो सब कुछ नहीं कर पाते, जिस खास विशेषता के लिए आपको उस 'विशेष' ने चुना था..
सवाल थोड़े सच में डूबे हैं, थोड़े वक़्त के थपेड़े से चटके हुए.. आप सब जानते हैं ना साहेब, तो बताइए क्यों ऐसा होता है.. जो संगीत इन साँसों ने लयबद्ध किया था कभी, आज शोर क्यों करार दे दिया जाता है..
शौर्यगाथा पर्वत की गाएँ कि अडिग था, मज़बूत था, नदी को बहने दिया, सो दरियादिल भी कहें.. या नदी के समर्पण, नम्र व्यवहार को सम्मानित करें.. खेल के नियम कहते हैं कि सबको बराबर समय और मौका आवंटित किया जाएगा, तो इश्क़ की भाप में मन से पर्दे क्यों उतर जाते हैं..
सुरूर सरोवर से उठा और कमल में अवतरित हुआ.. और उनका संयोग समानता न झेल सका..
सर्जनात्मक पहल करने को आतुर मन और संपादकीय संपदा विशालकाय हुई तो उसकी ताकत कौन था?
प्रश्न हल हो ना हों.. नये पहलू तराशते रहने चाहिए, कोई भी आयाम बिना खोज नहीं मिलता..
रूह तक पहुँचता प्रेम है तो जो जिस्म की चाह से शुरू हुआ और कुछ वक़्त इसके इर्दगिर्द रहा, वो क्या था.. संग्रहित भावनाएँ कभी झलकतीं हैं तो कभी छलकतीं.. मन कशमकश में होते हुए, वो सब कर जाता है जो शायद अस्वाभाविक होने के साथ-साथ अवांछनीय भी था..
उलझन बहुत है और रास्ता.. जाने क्यों आपसे ये सब कह रही, पूछ रही.. मेरी प्यास, तलाश, लौ, सरहद..अजब पहरेदार हैं मेरे सीने के, अरसे से बुझी नहीं जैसे ये आग..
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--#किस्से_और_मैं - १
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/15/2021 09:11:00 AM
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मोहब्बत