Saturday, April 27, 2013
'इक शब..'
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"किरच-किरच टपकती रही..
हर्फ़ से सनी धूप..
तुम सब जानते थे..
मेरा खालीपन..
मेरी वहशत का जिस्म..
क्यूँ बुलाते थे उँगलियों की घुटन को..
इतने करीब कि फिसल जाती थी..
मेरी बेबसी उन पन्नों पर..
बमुश्किल समेटा था..
उस रोज़..
स्याह शाम का अल्हड़ मंज़र..
तेरी छुअन..
मेरी रूह..
और..
इक शब..
वहशत की..
याद रखोगे ना..
मेरी इबादत..
मोहब्बत की..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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4/27/2013 01:07:00 AM
13
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बेबाक हरारत..
Thursday, April 25, 2013
'ख़्वाब..'
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"कल रात ख़्वाब की चादर ओढ़े तुम मेरी चादर की सूत बन लिपटी रहीं.. अपने शहर से मेरे शहर का सफ़र..दुनिया की नज़रों से छुपते-छुपाते..मुझ तक आयीं तुम..!!!
ना जाने किन ख्यालों में खो गयीं थीं तुम्हारी उदास आँखें..मैं ढूँढता रहा अपनी कार में तुम्हें..!! बरबस बहते ही जा रहे थे..तुम्हारी काली आँखों से बेशुमार मोती..कार के डैशबोर्ड पर रखे टिश्यू पेपर बॉक्स से एक सफ़ेद टिश्यू निकाल तुम्हें जैसे ही दिया..तुम बिफर गयीं..जैसे एक बिजली गिर गयी थी मुझ पर..!!! इतना कमजोर और बेबस कभी महसूस नहीं किया था ख़ुदको..!!
क्यूँ ज़िन्दगी ऐसे मुकाम पर ले आती है, जहाँ हमारा सबसे प्यारा दोस्त सामने हो और उसे संभाल भी नहीं सकते..बांहों में भी नहीं भर सकते..!!! तुम्हारी ख़ामोशी मुझे चीर रही थी..सहला ना सका तुम्हारे ज़ख्म, जल गया मेरे होने का दंभ.. कितना बैगैरत..संगदिल..
दफ़अतन..ख़्वाब टूट गया..और किरच-किरच बिखर गए सपने..!!!"
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--सुबह से बहुत मिस कर रहा था तुम्हें..!!! कर सकता हूँ ना..??
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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4/25/2013 11:12:00 PM
4
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कहानी..
'सुराही..'
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"हम कितना भी भर जाएँ..
फिर भी खाली ही रहते हैं..
रीत रही..सुराही आज फिर..!!!"
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---जहाँ भी चली जाऊं, मैं तुम्हारे पास ही रहूँगी हमेशा.. लास्ट नाईट कन्वर्सेशन..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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4/25/2013 11:02:00 PM
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बेबाक हरारत..
Wednesday, April 24, 2013
'बहते हर्फ़..'
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"इक-इक क़तरा..
इक-इक साँस..
दफ़्न कर..
चल पड़ा..
खैरियत चाह..
दूरियां फैलायीं..
ना भूलूँगा..
दरिया-ए-शफ़क़त..
शुक्रिया तुम्हारा..
मेरी जां..
निभाया तुमने..
दोस्ताना हमारा..!!"
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-- आग़ोश के दो पल..बहते हर्फ़..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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4/24/2013 09:59:00 PM
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'दी..'
'रत्न ..'
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"मुश्किल अवश्य है प्रश्न..
पर कुछ तो होगा हल..
चलिए, आप और मैं ढूँढें..
कोई रत्न हो बैठा थल..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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4/24/2013 09:51:00 PM
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प्रेरणादायी सन्देश..
Friday, April 19, 2013
'वज़ूद की ख़ाल..'
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"वज़ूद की ख़ाल अब पुरानी हो चली है..लौटाना चाहता हूँ वो सारे पल..वो सुन्दर मोतियों-सी लिखावट..जिससे मेरे नाम के अक्स बिछते थे सूत की चादर पर हर शब दरिया किनारे..!!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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4/19/2013 03:55:00 AM
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बेज़ुबां ज़ख्म..
Wednesday, April 17, 2013
'बेवफ़ाई..'
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"घौंपों चक्कू कितने..
बेवफ़ाई के..
लहू में दिखेगा..
इक तेरा चेहरा..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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4/17/2013 09:51:00 AM
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बेज़ुबां ज़ख्म..
Thursday, April 11, 2013
'बेज़ुबान हर्फ़..'
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"उग आये हैं..
बेज़ुबान हर्फ़..
जिस्म के हर कोने..
क्या मुनासिब..
इक छुअन कभी..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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4/11/2013 09:18:00 AM
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ज़िन्दगी..
Monday, April 8, 2013
'दूर..'
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"दूर हो मुझसे कब तक जी पायेगा..
देखते हैं..कौन कहाँ तक जायेगा..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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4/08/2013 03:05:00 AM
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बेज़ुबां ज़ख्म..
Saturday, April 6, 2013
'उलझती-सुलगती..'
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"उलझती-सुलगती छल्लों की कारीगरी..
चल बिछायें इन पर..शब्दों की जादूगरी..!!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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4/06/2013 06:41:00 AM
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बेबाक हरारत..
Wednesday, April 3, 2013
'जिद्दी यादें..'
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"बंद करूँ खिड़कियाँ कितनी..
खींच डालूँ दरवाजे बेशुमार..
जिद्दी यादें..जातीं ही नहीं..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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4/03/2013 10:09:00 AM
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बस यूँ ही..