An expression of thought from the perspective of today's Indian Youth..who is hopeful of the growth..believes strongly in the immense capabilities, opportunities, skills and resources of the nation..!! ...
"कहानी जीवन की लिखने लगा हूँ..
राह शान्ति की सीखने लगा हूँ..
पंख बहार के उड़ने लगा हूँ..
फसल खुशाली की बोने लगा हूँ..
पानी तृप्ति का देने लगा हूँ..
खाद आत्मीयता की पोने लगा हूँ..१
कहानी जीवन की लिखने लगा हूँ..
फूलों की क्यारी सजाने लगा हूँ..
शिक्षा की रौशनी फैलाने लगा हूँ..
कुम्हार की मिट्टी पाटने लगा हूँ..
बचपन की पौध रमाने लगा हूँ..२
कहानी जीवन की लिखने लगा हूँ..
पक्षियों का आँचल खिलखिलाने लगा हूँ..
नदियों का आँगन झिलमिलाने लगा हूँ..
पर्वतों का साम्राज्य टिमटिमाने लगा हूँ..
रज़ की खुशबू रिमझिमाने लगा हूँ..३
कहानी जीवन की लिखने लगा हूँ..
तस्वीर यौवन की तराशने लगा हूँ..
चितवन अधेड़ावस्था का संभालने लगा हूँ..
मोती सागर से तलाशने लगा हूँ..
नीलगगन बजुर्गों का संवारने लगा हूँ..४..
कहानी जीवन की लिखने लगा हूँ..
राह समृद्धि की जीने लगा हूँ..
भारत 'माँ' का यथार्थ सीने लगा हूँ..
हाँ..
कहानी जीवन की लिखने लगा हूँ..
राह शान्ति की सीखने लगा हूँ..!"
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