Saturday, April 10, 2010
'बदमस्त खानः बदोश..'
...
"निभा सको गर वादा..इक चाहत हूँ मैं..
समेट सको गर आँसू..इक काज़ल हूँ मैं..
मिटा सको गर हसरत..इक आहट हूँ मैं..
अपना सको गर अक्स..इक आँचल हूँ मैं..
हर मोड़ बिका..साहिलों का सौदागर हूँ मैं..
मुद्दत से..
साँसों के शोर का चीरता..
बदमस्त खानः बदोश हूँ मैं..!"
...
*बदमस्त = Intoxicated
खानः बदोश = Traveller..
10 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
nice
एक बार फिर अदभुत रचना ,,,,,,अति सुन्दर ...
विकास पाण्डेय
www.vicharokadarpan.blogspot.com
bahut khoob ...waah...http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/ aur Suman ji ka 'Nice' yahan bhi hai....
ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
कम शब्दों में बहुत सुन्दर कविता।
ढेर सारी शुभकामनायें.
SANJAY KUMAR
HARYANA
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
vaah kyaa baat hai....lazawaab.....
धन्यवाद सुमन जी..!!
धन्यवाद विकास जी..!!
धन्यवाद दिलीप जी..!!
धन्यवाद भूतनाथ जी..!!
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