Monday, April 26, 2010

' दरिया..'



...

"बेवज़ह..
चाहत के निशाँ उधेड़तें रहे..
रूह को हर नफ्ज़..
खंज़र भी हैरान हैं..
अश्कों का दरिया देख..!"

...

7 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

संजय भास्‍कर said...

बहुत खूब, लाजबाब !

Dev said...

वाह !! क्या बात है ......बेहतरीन रचना

M VERMA said...

अश्को की दरिया में तो बहुत्त सारे बह जाते हैं

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद संजय भास्कर जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद देवेश प्रताप जी..!!

दिलीप said...

waah kya khoob kaha...

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद दिलीप जी..!!