Thursday, March 17, 2011

'ऐसी रूह तलाशता हूँ..'


...


"जो डूब जाए..
ऐसी कश्ती तलाशता हूँ..
जो बिखर जाए..
ऐसी माला तलाशता हूँ..

हूनर खूब मचलते..
शामें अब खैराती हैं..

जो सुलग जाए..
ऐसी रूह तलाशता हूँ..!!"


...

11 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Shekhar Suman said...

बहुत खूब.... :)

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत बढ़िया

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद यशवंत माथुर जी..!!

वाणी गीत said...

डूबने वाली कश्ती और बिखरने वाली माला की चाहत रखना ...
सबसे अलग !

charan singh said...
This comment has been removed by the author.
निर्मला कपिला said...

ये तलाश तो जीवन भर चलती है--। आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनायें।

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद निर्मला कपिला जी..!!

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

प्रियंकाभिलाषी जी
रंग भरा स्नेह भरा अभिवादन !


आपकी तलाश भी कमाल है … सबसे जुदा , सबसे अलग ।

हार्दिक बधाई !


♥ होली की शुभकामनाएं ! मंगलकामनाएं !♥

होली ऐसी खेलिए , प्रेम का हो विस्तार !
मरुथल मन में बह उठे शीतल जल की धार !!


- राजेन्द्र स्वर्णकार

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद राजेन्द्र स्वर्णकार जी..!!

Dwarka Baheti 'Dwarkesh' said...

अच्छी रचना.

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद द्वारका बाहेती 'द्वारकेश' जी..!!