Thursday, March 10, 2011
'माधुर्य का संगम..'
...
"बाँधी जिस क्षण..
घेरों की डोरी..
चमका था सोना..
उछली थी चांदी..
मद्धम-मद्धम था उजाला..
भीनी थी चांदनी..
सुमन की सुगंध..
पर्वत की ओढ़नी..
जल की निर्मलता..
नदी की चाप..
घुँघरू की खनक..
सरगम की थाप..
माधुर्य का संगम..
अंतर्मन का मिलाप..
सुनो..
प्रिय..
अद्भुत सादगी..
अटूट विश्वास ही..
जीवन की धार..
सदैव रखना..
अपने समीप..
करना मेरा..
प्रेम स्वीकार..!!"
...
Labels:
रूमानियत..
10 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
bhut hi sundar.......behatrin rachna...
bahut sundar bhavabhivyakti ...shubhkamnayen .
Sunder manobhav...
बेहतरीन!!!!
धन्यवाद सत्यम शिवम जी..!!
धन्यवाद शिखा कौशिक जी..!!
धन्यवाद डॉक्टर शर्मा जी..!!
धन्यवाद यशवंत माथुर जी..!!
behad khubsurat...
hamesha ki tarah
धन्यवाद Patali - The Village जी..!!
Post a Comment