Saturday, April 23, 2011

'ए-सौदागर..'




...


"जुल्फों के आगोश..
बाहों का मंज़र..
खूब खेल खेला..
ए-सौदागर..

मिट रहा चाहत में..
लुट रहा इबादत में..
ना करना सौदा..
कभी रूह का..
ए-सौदागर..

रंगों से लबरेज़..
फिज़ा-ए-काज़ल ..
दस्तक देता..
ए-सौदागर..

उल्फत की सेज़..
मोहब्बत की खेस..
जिस्म गरमाता..
ए-सौदागर..

ना रख शहनाई-सी कसक..
ना दे रूबाई-सी मचक..
मिला दे खुद में..
ए-सौदागर..!!!"


...

7 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Anamikaghatak said...

wah! kamaal ka likha hai aapne....badhiya

Sushil Bakliwal said...

ऐ सौदागर... उत्तम प्रस्तुति.

Asha Lata Saxena said...

भावपूर्ण प्रस्तुति बधाई
आशा

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद एना जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद सुशील बाकलीवाल जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद आशा जी..!!

हल्ला बोल said...

ब्लॉगजगत में पहली बार एक ऐसा "साझा मंच" जो हिन्दुओ को निष्ठापूर्वक अपने धर्म को पालन करने की प्रेरणा देता है. बाबर और लादेन के समर्थक मुसलमानों का बहिष्कार करता है, धर्मनिरपेक्ष {कायर } हिन्दुओ के अन्दर मर चुके हिंदुत्व को आवाज़ देकर जगाना चाहता है. जो भगवान राम का आदर्श मानता है तो श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र भी उठा सकता है.
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