Thursday, May 12, 2011

'नज़राना..'



...


"बड़ी सूनी-सी है..आँगन की चारपाई..
बड़ी सहमी-सी है..खलियानों की जुदाई..
पेश हुआ ना नज़राना..कीमत-ए-दगाबाजी..
नादां था..समझ ना सका तेरी खुदाई..!!!"


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11 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

संजय भास्‍कर said...

कमाल की लेखनी है आपकी लेखनी को नमन बधाई

M VERMA said...

खुदाई को कौन समझ पाया है भला

रचना दीक्षित said...

बेहतरीन ...

vandana gupta said...

बहुत खूब्।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूब ...

कविता रावत said...

badiya prastuti..

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद वर्मा जी..!!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद रचना दीक्षित जी..!!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद वंदना जी..!!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद संगीता आंटी..!!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद कविता रावत जी..!!!