Monday, July 18, 2011

'किश्तें उधार की..'




...


"उधार की ज़िन्दगी..
उधार के रिश्ते..
किश्तें उधार की..
रूह से हैं रिसते..
अरमान कारोबार के..
थक गया हूँ..
बेगैरत हंसी..
और..
बेवफा साँसों से..!!"


...

8 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद यशवंत माथुर जी..!!!

वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) said...

बहुत सुन्दर !

सदा said...

बेहतरीन प्रस्‍तुति ...।

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद वन्दना महतो जी..!!

दिगम्बर नासवा said...

आधुनिक जीवन की मार ... लाजवाब लिखा है ..

अनामिका की सदायें ...... said...

yahi bahutik jiwan ka saar hai fir bhi insaan jeeta hai har haal se ru-b-ru hota hua. sunder abhivyakti.

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद अनामिका की सदायें जी..!!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद दिगम्बर नासवा जी..!!!