Thursday, August 4, 2011
'मेरे कश्मीरी गुलाब..'
...
"जिस्म लुभाती नहीं..
तेरी अदाएँ..
जा..
ढूँढ ला..
कोई माज़ी..
लुटा सके..
जो..
रातों की जवानी..
दिन की नादानी..
शाम की रवानी..
और..
हाँ..
लेते जाना..
अपनी खुशबू पुरानी..
मेरे कश्मीरी गुलाब..!!"
...
Labels:
रूमानियत..
12 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
bahut khoob abhivyakti .badhai
वाह!
वाह!!!वाह!!! क्या कहने, बेहद उम्दा
धन्यवाद यशवंत माथुर जी..!!
धन्यवाद संजय भास्कर जी..!!
gahan arth liye hue ..man ko chhoo gayi aapki rachna ..
badhai evam shubhkamnayen.
वाह ...बहुत खूब कहा है आपने ।
क्या बात है ... सुन्दर ..
धन्यवाद अनुपमा त्रिपाठी जी..!!
धन्यवाद सदा जी..!!
धन्यवाद संगीता आंटी..!!
खूबसूरत अभिव्यक्ति...
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