Wednesday, August 17, 2011

'फ़साना..'




...


"तन्हाई की कद्र जाने ना कोई..
लुटा जब-जब पहने हिजाब कई..

क्या समझेगा मेरा फ़साना कोई..!!"

...

12 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Nidhi said...

कोई न कोई ज़रूर होगा....इस जहां में......जो समझेगा !

priyankaabhilaashi said...

शुक्रिया दी..!!!!!!

संजय भास्‍कर said...

आपकी रचना दिल को छू गयी....शुक्रिया

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद शिखा कौशिक जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद सुषमा 'आहुति' जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद संजय भास्कर जी..!!

Dev said...

अति सुन्दर ...

Neelkamal Vaishnaw said...

नमस्कार....
बहुत ही सुन्दर लेख है आपकी बधाई स्वीकार करें
मैं आपके ब्लाग का फालोवर हूँ क्या आपको नहीं लगता की आपको भी मेरे ब्लाग में आकर अपनी सदस्यता का समावेश करना चाहिए मुझे बहुत प्रसन्नता होगी जब आप मेरे ब्लाग पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएँगे तो आपकी आगमन की आशा में पलकें बिछाए........
आपका ब्लागर मित्र
नीलकमल वैष्णव "अनिश"

इस लिंक के द्वारा आप मेरे ब्लाग तक पहुँच सकते हैं धन्यवाद्

1- MITRA-MADHUR: ज्ञान की कुंजी ......

2- BINDAAS_BAATEN: रक्तदान ...... नीलकमल वैष्णव

3- http://neelkamal5545.blogspot.com

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद देवेश प्रताप जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद नीलकमल वैष्णव जी..!!

केवल राम said...

यह तन्हाई की कद्र ...बहुत सुंदर ...!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद केवल राम जी..!!