Thursday, February 23, 2012

'जलने दो..'





...


"क्यूँ हर नफ्ज़..
शरारत..गुस्ताखी मेरी..
छुपा देते हो..

जलने दो..
इस शब..
जिस्म और रूह..

बहुत तडपाया था..
रेज़ा-रेज़ा..
ए-राज़दां तुझे..!!!"


...

3 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

vidya said...

बेहतरीन!!!!!!!!!!

रश्मि प्रभा... said...

waah

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद रश्मि प्रभा जी..!!