...
"प्रीत बाँध..
सिमटी पुरवाई..
क्या किसी क्षण..
मेरी याद आई..!!"
...
Saturday, March 31, 2012
'प्रीत..'
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
3/31/2012 06:35:00 AM
7
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..

Labels:
दास्तान-ए-दिल..
'समंदर..'
...
"कहाँ छुपे रहे..
ए-जां..
तरसता रहा..
समंदर मेरा..!!!"
...
"कहाँ छुपे रहे..
ए-जां..
तरसता रहा..
समंदर मेरा..!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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3/31/2012 06:26:00 AM
5
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दास्तान-ए-दिल..
'आँसू की चादर..'
...
"लिपटे रहे..
आँसू की चादर..
अश्कों के लिहाफ.
अक्सर..
बेरंग होते हैं..!!"
...
"लिपटे रहे..
आँसू की चादर..
अश्कों के लिहाफ.
अक्सर..
बेरंग होते हैं..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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3/31/2012 06:19:00 AM
4
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बस यूँ ही..
Friday, March 30, 2012
'सामान..'
...
"कसक..
खलिश..
वीरानी..
नासूर..
आँसू..
लेते आना..
ज़रा..
सामान सारा..!!"
...
"कसक..
खलिश..
वीरानी..
नासूर..
आँसू..
लेते आना..
ज़रा..
सामान सारा..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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3/30/2012 08:30:00 AM
2
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बेज़ुबां ज़ख्म..
'रेतीले बंज़र..'
...
"कितनी सिलवटें ठहरीं..
शहद की इमारतें बह गयीं..
कुछ रेतीले बंज़र..
कभी शादाब नहीं होते..!!"
...
"कितनी सिलवटें ठहरीं..
शहद की इमारतें बह गयीं..
कुछ रेतीले बंज़र..
कभी शादाब नहीं होते..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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3/30/2012 07:45:00 AM
2
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बेज़ुबां ज़ख्म..
'काश..'
...
"जली शब कितनी..
अलाव-ए-दर्द..
धीमी-धीमी आँच पर पकता..
काश..!!"
...
"जली शब कितनी..
अलाव-ए-दर्द..
धीमी-धीमी आँच पर पकता..
काश..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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3/30/2012 07:39:00 AM
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बेज़ुबां ज़ख्म..
'कलाम-ए-दर्द..'
...
"ना माना..
बेगैरत ईमां तेरा..
मुफ्त इश्तिहार बंटा..
कलाम-ए-दर्द मेरा..!!"
...
"ना माना..
बेगैरत ईमां तेरा..
मुफ्त इश्तिहार बंटा..
कलाम-ए-दर्द मेरा..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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3/30/2012 07:35:00 AM
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बेज़ुबां ज़ख्म..
Thursday, March 29, 2012
'अंतर्मन चर्चा..'
...
"अमूल्य वचन..
संयमित दिनचर्या..
सरल जीवनयापन..
करुणामयी दृष्टि..
दयालु प्रवृत्ति..
ऐसी रहे..
अंतर्मन चर्चा..!!"
...
"अमूल्य वचन..
संयमित दिनचर्या..
सरल जीवनयापन..
करुणामयी दृष्टि..
दयालु प्रवृत्ति..
ऐसी रहे..
अंतर्मन चर्चा..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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3/29/2012 07:14:00 AM
12
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अंतर्मन की पुकार..
'लम्हा..'
...
"लिखती रहूँगी..
हर इक लम्हा..
तेरे नाम..
कब तलक..
छुपा सकोगे..
हाल-ए-दिल..
हमसे..!!"
...
"लिखती रहूँगी..
हर इक लम्हा..
तेरे नाम..
कब तलक..
छुपा सकोगे..
हाल-ए-दिल..
हमसे..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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3/29/2012 06:54:00 AM
8
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रूमानियत..
'इंतज़ार..'
...
"तौहफा-ए-बोसा..
पैगाम-ए-मोहब्बत..
बैठी हूँ..इंतज़ार में..!!"
...
"तौहफा-ए-बोसा..
पैगाम-ए-मोहब्बत..
बैठी हूँ..इंतज़ार में..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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3/29/2012 05:53:00 AM
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त्रिवेणी..
Wednesday, March 28, 2012
'बादाम की सेज..'
...
"कुछ ख़ास हुआ..
आज सवेरे..
तेरे-मेरे दामन पर..
स्ट्रोबैरी, हनी और क्रीम..
बादाम की सेज पर सजे कुछ ऐसे..
खिल उठा मेरा जिस्म..
महक उठी तुम्हारी रूह..!!"
...
"कुछ ख़ास हुआ..
आज सवेरे..
तेरे-मेरे दामन पर..
स्ट्रोबैरी, हनी और क्रीम..
बादाम की सेज पर सजे कुछ ऐसे..
खिल उठा मेरा जिस्म..
महक उठी तुम्हारी रूह..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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3/28/2012 03:59:00 AM
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रूमानियत..
Wednesday, March 21, 2012
'कुछ कोमल भाव..'
प्रिय दी..
आपको समर्पित..मेरे कठोर ह्रदय में पनपे कुछ कोमल भाव.. आपने इस निष्ठुर तुच्छ अज्ञानी को जो मान-सम्मान दिया उसके लिये जीवन-पर्यंत कृतज्ञ रहूँगी..
...
"धीमे-धीमे उतरती..
हर अक्षर के संग..
मधुर वाणी..
सरल ह्रदय संगम..
जिस क्षण विचरती..
दुर्गम पर्वत दबंग..
अद्भुत अदम्य साहसी..
परिभाषित अंग-अंग..
सुमन तरु दिवाकर..
विरले फैलाते रंग..
अमिट चित्रपटल मेरा..
सुंदर सुशोभित ढंग..
बन असीम कृपा..
पधारे लिये नवरंग..!!!"
...
आपको समर्पित..मेरे कठोर ह्रदय में पनपे कुछ कोमल भाव.. आपने इस निष्ठुर तुच्छ अज्ञानी को जो मान-सम्मान दिया उसके लिये जीवन-पर्यंत कृतज्ञ रहूँगी..
...
"धीमे-धीमे उतरती..
हर अक्षर के संग..
मधुर वाणी..
सरल ह्रदय संगम..
जिस क्षण विचरती..
दुर्गम पर्वत दबंग..
अद्भुत अदम्य साहसी..
परिभाषित अंग-अंग..
सुमन तरु दिवाकर..
विरले फैलाते रंग..
अमिट चित्रपटल मेरा..
सुंदर सुशोभित ढंग..
बन असीम कृपा..
पधारे लिये नवरंग..!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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3/21/2012 04:04:00 AM
3
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'दी..'
Monday, March 12, 2012
'जुम्बिश..'
...
"जुम्बिश साँसों की..
खलती है..
इन दिनों..!!"
...
"जुम्बिश साँसों की..
खलती है..
इन दिनों..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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3/12/2012 11:33:00 AM
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दास्तान-ए-दिल..
Friday, March 9, 2012
'अल्फ़ाज़..'
...
"अल्फ़ाज़ बहुत भारी थे..
तेरी आँखों के..
समंदर भी कम रहा..
समेटने की चाहत में..!!"
...
"अल्फ़ाज़ बहुत भारी थे..
तेरी आँखों के..
समंदर भी कम रहा..
समेटने की चाहत में..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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3/09/2012 07:24:00 AM
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बस यूँ ही..
'अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस..'
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर..कुछ पंक्तियाँ..
...
"नारी का शोषण ना थम सकेगा कभी..
प्रयत्न करके देखलो सभी..
जो पाना है स्वयं को लक्ष्य..
निर्धारित हो जीवन का भक्ष्य..
करो सुशोभित अंतर्मन-ताज..
हर ह्रदय करे नमन-राज..
आती नहीं सुबह यूँ ही..
लाती सन्देश यही..
जिसने पहचाना मूल्य..
है वही परमात्मा तुल्य..!!"
...
...
"नारी का शोषण ना थम सकेगा कभी..
प्रयत्न करके देखलो सभी..
जो पाना है स्वयं को लक्ष्य..
निर्धारित हो जीवन का भक्ष्य..
करो सुशोभित अंतर्मन-ताज..
हर ह्रदय करे नमन-राज..
आती नहीं सुबह यूँ ही..
लाती सन्देश यही..
जिसने पहचाना मूल्य..
है वही परमात्मा तुल्य..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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3/09/2012 05:27:00 AM
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प्रेरणादायी सन्देश..
Monday, March 5, 2012
'उलझते मोती..'
...
"अंतर्मन की लकीरें..
उलझते मोती..
अंबर फैलता व्यापार..
समेटो दुखों की गठरी..
ना रहा अब कहीं..
कोई सच्चा खरीददार..!!"
...
"अंतर्मन की लकीरें..
उलझते मोती..
अंबर फैलता व्यापार..
समेटो दुखों की गठरी..
ना रहा अब कहीं..
कोई सच्चा खरीददार..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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3/05/2012 03:50:00 AM
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ज़िन्दगी..