Tuesday, February 26, 2013
'तेरा एहसास..'
...
"क्यूँ चले दूर इतना..
पा भी ना सकूँ..
तेरा एहसास..
छू भी ना सकूँ..
तेरे जज़्बात..
हर जंग हारा..
अब तलक..
न सोचा था..
ऐसा वक़्त आयेगा..
जुबां पे नाम मेरा..
जगह भी न पायेगा..
कहाँ भूल हुई..
कहाँ कम रहा प्यार..
बाँट मुझको..
चला गया यार..
देखती हूँ..
बीता वक़्त..
आते हो याद..
बेबस नासूर..
ख़ाली लिहाफ़..
बिखरी खामोशी..
स्याह रात..
और..
इक बर्बाद..
बेगैरत..
ख़ानाबदोश..
मैं..!"
...
Labels:
बेज़ुबां ज़ख्म..
11 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
बेहतरीन
सादर
धन्यवाद यशवंत माथुर जी..!!
दिनांक 28 /02/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
धन्यवाद यशवंत माथुर जी..
आभारी हूँ..
बहुत उम्दा ..भाव पूर्ण रचना .. प्रेम को तो प्रेम ही समझ सकता है प्रेम से तो काली रात में भी उजाले का अहसास होता है
मेरी नई रचना
ये कैसी मोहब्बत है
धन्यवाद दिनेश पारीक जी..!!
बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति ...
आप भी पधारें
ये रिश्ते ...
धन्यवाद प्रतिभा वर्मा जी..!!
बेशक बहुत सुन्दर लिखा और सचित्र रचना ने उसको और खूबसूरत बना दिया है.
धन्यवाद संजय भास्कर अहर्निश जी..!!
खूबसूरत
Post a Comment