Sunday, March 3, 2013

'नक़ाबी मकां..'



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"फ़रेबी रिश्ते..नफ़रत भी थक गयी इन से नफ़रत करते-करते..!!! मेरी रूह पर उकेरे हैं जो नासूर तुमने, कभी ना मिटने पाये...इतनी दुआ अता करना, ए-ख़ुदा..!!!"

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---नक़ाबी मकां..खंज़र लपेटे इंसानी शरीर..

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