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...
"अब परवाह..
ना करना..
जीना सीख..
रही हूँ..
तुम बिन..
यूँ भी..
हर पल..
बोझ हूँ..
तुम्हारे लिए..
हसरत..वक़्त..
ज़ाया करती..
जाने कितने..
फ़ोन करती..
ना होगी..
कोई रुसवाई..
खुदपर अब..
लगाम लगाई..
ना करुँगी..
अब परेशान..
रखना तुम..
अपना ध्यान..!!"
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--जाने कहाँ से ये हर्फ़ आ गए..
Saturday, August 31, 2013
'परवाह..'
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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8/31/2013 08:02:00 AM
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ज़मीनी हकीक़त..
Wednesday, August 28, 2013
'मंजिल..'
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"कभी-कभी बहुत लम्बी हो जातीं हैं राहें..मंजिल बारहां रूह से टंगी रहती है..!!"
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--काश तुम समझते उलझनों की उलझन..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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8/28/2013 08:21:00 AM
8
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बेबाक हरारत..
Saturday, August 24, 2013
'असंख्य पत्ते..'
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"कैसे टूटे हैं शाख पे बैठे असंख्य पत्ते..चिपके हैं तने से फिर भी उधड़े हैं..!!!"
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--हक़ीक़त-ए-ज़िन्दगी..बेयर ट्रुथ..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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8/24/2013 09:22:00 AM
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बेज़ुबां ज़ख्म..
Friday, August 16, 2013
'ज़ालिम नैटवर्क..'
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"तलाशती रही..
यहाँ-वहाँ..
इधर-उधर..
ऊपर-नीचे..
तुम कहीं न मिले..
SMS कर पूछा..
'कहाँ-कहाँ ढूँढा आपको..'
जवाब कुछ यूँ आया..
'अपने दिल में नहीं देखा होगा..'
निगाहें जाने क्यूँ मुसकायीं..
मानो बांछें खिल आयीं..
लिख भेजा हमने भी..
'हाँ, वहाँ ही अक्सर भूल जाती हूँ..'
उड़ता-उड़ता जवाब आया..
'Careless Fellow .. :P '
हम भी थोड़ा इठलाये..
'अच्छा जी..(ढेर सारे ;-) :P smileys लगाये)'
बैठे हैं अब तलक इंतज़ार में..
ज़ालिम नैटवर्क..हाय कितना सताये..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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8/16/2013 06:09:00 AM
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बेबाक हरारत..
Thursday, August 15, 2013
'ए-जां..'
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"मेरी आज़ादी का जश्न तेरी गिरफ्त में है..ए-जां..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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8/15/2013 08:25:00 AM
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बेबाक हरारत..
Tuesday, August 13, 2013
'सरसराहट..'
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"लौटा सकोगे..
करवट की सिलवट..
सिमटती आहें और बाँहें..
गर्माहट और सरसराहट..
तपती रूह..सुलगते जिस्म..
इंतज़ार करुँगी..
शबाब के जवाब का..
अलाव के बहाव का..
कंबल के संबल का..!!
प्यार के अधिकार का..!!"
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--दफ़अतन चली पुरवाई..फैली हर ओर तन्हाई..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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8/13/2013 12:07:00 PM
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बेबाक हरारत..
'जवाब..'
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"लिखने की उम्र गुज़रती है क्या..?? बहुत सोचा..इस ताल के राग के बारे में.. कैसा सवाल उठा आज..??? सब परेशां हुए जा रहे हैं..गली-गली ढूँढ रहा जवाब..!!!"
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--बारिश के दुष्प्रभाव..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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8/13/2013 11:41:00 AM
4
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बारिश..
'दरकार..'
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"दहलीज़ थी इक..
दरमियां सफ़र बेशुमार..
सिमटी रही फ़क़त..
ज़िन्दगी की दरकार..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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8/13/2013 11:32:00 AM
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ज़िन्दगी..
Monday, August 5, 2013
'रंगों की टोली..'
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"ज़िन्दगी की शान में गुस्ताख़ी हो जब कभी..
थाम लेना आके तुम वहीँ..
मुश्किलें सैलाब से लबरेज़ आएँगी बहुत..
गिरफ्त कस देना तुम वहीँ..
ज़ालिम होंगी रवायतें और स्याह उजाले..
जड़ देना छल्ले तुम वहीँ..
छाई हो वीरानी और फीकी रंगों की टोली..
मल देना चाहत तुम वहीँ..
मांगती हों मौहलत आंसुओं की बेनूरी..
चिपका देना नक्श वहीँ..
बरबाद हो आशियाना और नसीब बे-लिबास..
पिघला देना लज्ज़त वहीँ..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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8/05/2013 09:32:00 AM
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दोस्ती..