Friday, February 28, 2014
'रुसवा..'
...
"अजीब कशिश साँसों की..
महके तो चहके तन-मन..
रुसवा तो दहके तन-मन..!!"
...
--बस यूँ ही..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
2/28/2014 06:10:00 AM
4
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
दास्तान-ए-दिल..
'अनकहे राज़..'
...
"जो तुम नहीं पास मेरे..
चिपक रहा दरिया-ए-एहसास..
हर्फ़ ग़मज़दा..गुल बेवफ़ा..
काश समझता अनकहे राज़..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
2/28/2014 05:27:00 AM
4
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
बेज़ुबां ज़ख्म..
'बिखरना चाहती हूँ..'
...
"क्यूँ साँसें फूँक देते हो..जब हारना चाहती हूँ..
क्यूँ बाँहों में भर लेते हो..जब बिखरना चाहती हूँ..!!"
...
--वीकेंड ड्रामा.. ;-)
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
2/28/2014 04:53:00 AM
2
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
रूमानियत..
Monday, February 24, 2014
'ज़ुल्मत का साया..'
...
"हर तरफ फैला अँधियारा..
उजाले की नहीं छाया..
क्यूँ हर नफ्ज़ ऐसा हुआ..
माज़ी मुझे छोड़ आया..
फिरता लकीरों-सा बेनिशां..
बहता ज़ुल्मत का साया..
न रदीफ़..बहर..न मतला..
दामन मेरा किसने सजाया..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
2/24/2014 10:08:00 AM
6
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
बेज़ुबां ज़ख्म..
Saturday, February 22, 2014
'मधुर ताल..'
...
"जीवन की राह पर चलना होगा..
संकट आयें गहरे..सधना होगा..१..
दुःख न करना..ए-पथिक..
उजास ह्रदय में भरना होगा..२..
वरदान संभव..मज़बूत इरादे..
अध्याय तिमिर का हरना होगा..३..
संघर्ष बजाये बांसुरी-राग ऊँची..
मधुर ताल अंतस बसना होगा..४..
समाधि-वरण विरक्त ध्येय..
सरल-तरल नैय्या तरना होगा..५..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
2/22/2014 03:02:00 AM
15
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
प्रेरणादायी सन्देश..
Friday, February 21, 2014
'दुआ अता हो..'
...
"राहें जुदा रहेंगी अबसे..ए-जां..
अजनबियत तक़दीर थी अपनी..
तेरी हर दुआ अता हो..आमीन..!!"
...
--दौर-ए-रूमानियत..ख़त्म हुआ..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
2/21/2014 02:56:00 AM
1 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
बेज़ुबां ज़ख्म..
Wednesday, February 19, 2014
'राग तलाश रही हूँ..'
...
"जिस्मों की मियाद ढूँढ रही हूँ.. हर तार में अपना राग तलाश रही हूँ..!! याद है न, मिलन की पहली रात.. मध्य-रात्रि का पहला पहर.. बोसे की बौछार..और तेरा वो 'टाईट हग'..!!
आओ जां.. ज़िन्दगी के वो हसीं पल इंसाफ़ चाहते हैं..रूमानी रंगत का निशां चाहते हैं..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
2/19/2014 05:23:00 AM
0
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
रूमानियत..
'माज़ी..'
...
"जीत सकता था.. जो..हर बाज़ी..
क्यूँ फिर.. हरा गया मुझको माज़ी..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
2/19/2014 05:09:00 AM
0
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
स्मृति..
Saturday, February 15, 2014
'गोलार्द्ध की मियाद..'
...
"लम्बी रातें..
बेशुमार बातें..
बेचैन अलाव..
बुला रहे सारे..
चले आओ..
चले आओ..
के तुम बिन सिलवटें तड़प रहीं..
तकिये के लिहाफ़ साँसें लौटा रहे..
इतर की खश्बू मचल रही..
ऑलिव ऑयल बिफ़र रहा..
पोरों में सुलह करा दो..
गोलार्द्ध की मियाद बता दो..
जानां..!!"
...
--मोहरें तलाशतीं वज़ूद..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
2/15/2014 09:45:00 AM
2
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
रूमानियत..
Friday, February 14, 2014
'खुरदुरे हाथ..'
...
"इक मैं तेरी लिस्ट में जंचता नहीं..
मौसम कूचा-ए-दिल सजता नहीं..१..
वादा..वफ़ा..एहसास..रूमानियत..
कोई साज़..स्याह सहर बजता नहीं..२..
जुदाई महबूब की..हुकूमत दिल की..
कलम..कलाम इन दिनों रचता नहीं..३..
नापसंद खुरदुरे हाथ और ज़ालिम लकीरें..
नसीब देखो..जिस्म मेरा फबता नहीं..४..
बेनिशां वज़ूद..बेशुमार राहें..बेवज़ह मैं..
शोर ज़ख़्मी साँसों का..मचता नहीं..५..!!"
...
--दर्द जाग उठे वीकेंड ईव पर.. :-)
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
2/14/2014 09:25:00 AM
2
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
बेज़ुबां ज़ख्म..
Monday, February 10, 2014
'फ़रियाद..'
...
"दिल धड़कता नहीं..साँस आती नहीं..
क्या किसी को हमारी याद आती नहीं..
बिछड़े जो हमसफ़र..बहुत करीब से..
आसूँ को करनी फ़रियाद आती नहीं..
महफ़िल सजती होगीं हर शब..
कीमत उसको मेरी..लगानी आती नहीं..!!"
...
--बेज़ुबां वक़्त..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
2/10/2014 09:52:00 AM
8
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
बेज़ुबां ज़ख्म..
Tuesday, February 4, 2014
'बसंत पंचमी..'
...
"आप सब पर माँ सरस्वती का आशीर्वाद बना रहे, कंठ में मधुर-वाणी का संचार हो, मस्तिष्क में सद्बुद्धि का वास हो और कर से प्राणी-मात्र का सर्वदा कल्याण हो..!!"
...
--बसंत पंचमी की साँझ-बेला में यूँ ही स्मरण करते हुए..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
2/04/2014 05:53:00 AM
0
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
गुरुजन..
'लोकेशन चेंज..'
...
"सुनो जां..
लोकेशन चेंज करते हैं..
दरिया छोड़ यहाँ चलते हैं..
हर तरफ बर्फ़ की चादर..
नर्म रहेगा जिस्मों का फ़र..
अलाव ख़ुद जल जाएगा..
हमको रूमानी बनाएगा..
स्नो-फ्लेक्स गुदगुदायेगी..
देखना, उंगलियाँ कुनकुनायेंगी..
थाम लेंगे बोझिल साँसें..
लिख देंगे बेशुमार आयतें..
इक नुमाइश *मुक़य्यद..
इक शब मुकम्मल..
मैं आवारा**नक्शगर
तू ***रंगबस्त-ए-मोहब्बत..
चलो..फिर..
पैक करो..
इक जिस्म..
इक रूह..
इक साँस..
इक प्यास..!!"
...
*मुक़य्यद = बंदी/कैदी..
**नक्शगर = चित्रकार..
***रंगबस्त = पक्का रंग..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
2/04/2014 04:06:00 AM
0
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
रूमानियत..
'तार-तार..'
...
"जाम उठा लेने दे..मेरी जां..
यूँ भी तेरे बिन तार-तार हर बूँद..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
2/04/2014 02:04:00 AM
0
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
रूमानियत..
Monday, February 3, 2014
'सेंसिटिविटी मैनेजमेंट..'
...
"जाने नाम क्यूँ ज़रूरी था एडमिशन फॉर्म पर मेंशन करना.??? निखिल ने एक नामी कॉलेज में फैकल्टी का फॉर्म भरते हुए सोचा..मेरी पर्सनल लाईफ(रिलेशनशिप स्टेटस, स्पाउस का नाम, ऑक्यूपेशन, किड्स की इन्फो) से मेरे टैलेंट का एनालिसिस..???
आज अगर पर्सनल फ्रंट पर क्राइसिस है तो प्रोफेशनल फ्रंट पर भी क्राइसिस शुरू हो जाए.. बौद्धिक स्तर से मानवीय मूल्यों का ह्रास हो गया..!!
काश, इन सो-कॉल्ड ह्यूमन रिसोर्स एक्सपर्ट्स को 'फाइनेंशियल मैनेजमेंट' की जगह 'सेंसिटिविटी मैनेजमेंट' सब्जेक्ट पर लेक्चर दे सकता.. पुअर फैलोज़..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
2/03/2014 05:57:00 AM
0
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
कहानी..