Sunday, May 25, 2014

'प्यार का साज़..'





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"न जाने खुद की कितनी परतें उसके नाम लिखीं.. कितने विश्वास से समर्पित किया स्वयं को..!!

उसके फ़क़त..हर मोड़ मुझे छलनी किया..उकेड़ा मेरे लहू का क़तरा-क़तरा सरे-राह.. नीलाम किया वज़ूद मेरा..मज़ाक बनाया हर मजलिस..!!

मोहब्बत के रंग थे..या..प्यार का साज़..?? बे-रंग..बे-ताल..बे-बस.. नियति है मेरी..!!"


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--सफ़र लम्बा हो तो क्या..दर्द भी गहरे हो सकते हैं न..हर उस पल के..

5 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना मंगलवार 27 मई 2014 को लिंक की जाएगी...............
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

Parul Chandra said...

Lovely lines...

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद यशोदा अग्रवाल जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद पारुल जी..!!

विभूति" said...

बेहतरीन अभिवयक्ति.....