Sunday, July 20, 2014
'मेरे रंगरेज़..'
#जां
...
"कोई रंगना तुझसे सीखे..ए-मेरे रंगरेज़..!! जब से जुड़ा है मेरी रूह का वो इक रेशा..मैं तेरे रंग की गाढ़ी चाशनी में लिपटता जाता हूँ..!!
आओ..किसी शब..रंगत गहराने..!!"
...
--बारिश में रंग और भी पक्का हो जाता है न.
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रूमानियत..
2 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
WAAH....
हार्दिक धन्यवाद, डॉ. शर्मा जी..!!
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