Sunday, September 14, 2014
'रात्रि का दूसरा प्रहर..'
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"रात्रि का दूसरा प्रहर..जो हम दोनों का सबसे प्रिय समय है..उस का बहिष्कार अंतर्मन को ग्लानि से भर देता है.. जैसे..कमल की कोमलता और सौंदर्य का सन्मुख होते हुए भी उपयोग न कर पाना..!!
अनुरोध करूँ तो सहर्ष स्वीकार कर लेंगे न..प्रिय.. संदेश का माध्यम तो आपको ज्ञात ही है..!!"
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--प्रेम पत्र का एक टुकड़ा..<3
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रूमानियत..
2 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
gazab likhte ho madam aap...
धन्यवाद -rJ जी..!!
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