Wednesday, December 3, 2014
'ज़िंदादिली..'
...
"दोस्त मिले कुछ ऐसे..
ज़िंदादिली दलते रहे..
मैं था खाली हो रहा..
खुशियाँ अपनी मलते रहे..
उम्मीदे-साया घबराया जब..
शमा बन जलते रहे..
बेख़बर अकेला लुट रहा था..
ताबीज़ मानिंद फलते रहे..!!"
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दोस्ती..
4 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
धन्यवाद राजेंद्र कुमार जी..!!
सादर आभार..!!
धन्यवाद नीरज कुमार नीर जी..!!
खूबसूरत ख्यालात ...
धन्यवाद दिगम्बर नास्वा जी..!!
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