
...
"मेरे स्वर को नाम दे दो..
आज फ़िर मुझे वो काम दे दो..
सजाऊँ जिस्म को तेरे..
पोर से अपने..
जवानी पे रवानी के..
किस्से जाम दे दो..
लिखूँ जो हक़ीक़त..
मंज़ूर नहीं..
अपने 'सीक्रेट इमोशंज़' का..
कोई पैगाम दे दो..
उठते सवाल..
बिखरता उम्मीदे-ज़खीरा..
क़त्ल करने को मुझे..
खंज़र कोई इनाम दे दो..
आओ लौट के..
मेरे जानिब..
साँसों को मोहब्बत..
रूह को आराम दे दो..!!"
...
--शुक्र का शुक्र..<3