Saturday, January 30, 2016
'वक़्त की खरोंचे..'
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"वक़्त की खरोंचे..
बेरहम मरहम..
काश सहेज सकता..
ये दमख़म..
दोस्ती वाली बातें सारी..
याद रहेंगी उम्र सारी..
दूरियां दरमियां..
रखेंगी आँखें तारी..
फ़ैसला पाबंद..
गर उसका..तो क्या..
दिल में सजेगी..
इक तेरी क्यारी..!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
1/30/2016 12:40:00 AM
2
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
स्मृति..
Friday, January 29, 2016
'टुकड़े नींद के..'
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"वक़्त संभाले मुझे..
निभाए रवायतें..
खंगालती रही..
बेहिसाब-से हिसाब..
टूट जायें..
रूह के सारे ख्व़ाब..
टुकड़े नींद के..
जिस्म चीरते रतजगे..
औ' लफ़्ज़ों की गाँठ..
कीमत कौन जाने..
आवारा साँसों की..
दर्ज़ हर दरख्त पे..
गुनाह-ए-हसरत..
मैं बिकता..
अंजुमन-अंजुमन..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
1/29/2016 10:41:00 PM
2
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
बेज़ुबां ज़ख्म..