Sunday, November 29, 2020

'मोहब्बत के मसीहा..'





#नवंबर

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"दर्ज़ करने हैं एहसासों के निशां सारे, तेरे कूचे की दहलीज़ पर.. तुम क़रीब आने के इंतेज़ाम दुरुस्त करने दो, आज शाम.. जानते हो न, जाड़े की रातों में तुम्हें एक वॉर्म टाइट हग़ के बिना नींद नहीं आती..

इन इंटेंस गहरी आँखों में यूँ भी डूब जाएँगीं मेरी साँसें..तुम्हारी लैवेंडर फ्रैगरैंस उस नीले स्कार्फ़ की तरह मेरे ब्लज़ेर पर महक रही है.. कैसे भेदते जाते हो मेरे दिल के वो सारे राज़, जो चट्टान माफ़िक कोई हिला सकता नहीं..

प्रेम से परिभाषित दोस्ती का पहला कदम पार कर लें.. आओ, इस दफ़ा इक नया आयाम चुन लें..

तुम ता-उम्र हमराज़ रहना, मेरी मोहब्बत के मसीहा!"

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--#मोहब्बत का मौसम

2 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

सुशील कुमार जोशी said...

सुन्दर भाव

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर।
गुरु नानक देव जयन्ती
और कार्तिक पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ।