Thursday, March 30, 2023

'दिलदार..'

चित्र आभार - प्रिय मित्र..

यार साहेब, कबसे आपको तलाश रही और यह भी जानती हूँ कि आप दूर कभी हुए ही नहीं... जो भ्रम हैं, दिल के हैं, नज़र के हैं.. 

किसी संबंध की नींव जैसे आज़ादी वाली प्रसन्नता.. मन उड़ता हुआ किसी अजनबी के पास जा बैठे और सुकूँ के पल जी आए, पी आए, फ़क़त और क्या चाहे कोई..

कमल की कोमल पंखुड़ियाँ और आत्मीयता की अनवरत परत, कोई कैसे रोक सके स्वयं को आपके मोहपाश में बंधने से.. आप हौंसले की मशाल और सकारात्मकता की मिसाल हैं..

जब कभी मन स्वयं से प्रश्न करे, अपने अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगाए तो आपके शब्द राह दिखाते हैं.. 'चारागर' ऐसे ही होते हैं ना??

नदी-सी थाह रखने वाले, ओ साहेब जी, कितनी दफ़ा परिस्थितियों का जाल अपना वर्चस्व कायम करने के लिए मुझे खींचता अपनी ओर, पर मैं आपके अनुभव में पिरोई माला से लौट आती हूँ सकुशल..
कभी पर्वत-सा साहस भरते हैं, कभी भाँप-सा ताप... तिलिस्मी 'जादूगर' ऐसे ही होते हैं ना??

खिलखिलाहट के झरोखे, आँखों में चमक, गालों पर गड्ढे, मदमस्त चहकता दिल.. अपनी चाहत के रंग से तन-मन भिगोने वाले 'रंगरेज़' ऐसे ही होते हैं ना??

जिस सुकूँ से लफ्ज़ तराश दें, मन की उड़ानें.. जिस गर्मजोशी से भर सकें, दरिया की मचानें.. जिस नरमी से सहला दें, सूत की दुकानें.. अल्हड़ बहने दें, पोरों से पैमाने.. सिलवटों से लहराते पेशानी चमकाते, 'दिलदार' ऐसे ही होते हैं ना??

*आप स्नेह-पुंज हैं, साहेब..!*

उपमाएँ करतीं सवाल..
किसके लिए भरते थाल..
शख्स खास होगा, थामी..
जिसने दिल की पाल..!!

--#प्रियंकाभिलाषी

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yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" शुक्रवार 31 मार्च 2023 को साझा की गयी है
पाँच लिंकों का आनन्द पर
आप भी आइएगा....धन्यवाद!

विभा रानी श्रीवास्तव said...

उत्तर कहाँ मिला करते हैं

priyankaabhilaashi said...

आदरणीया महोदया,

सादर आभार!!

priyankaabhilaashi said...

आदरणीया विभा रानी जी महोदया,

यह ऐसा सत्य है जो बदलता नहीं..

बहुत धन्यवाद..